इंदौर। विधानसभा पांच में विधायक महेंद्र हार्डिया के खिलाफ आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा। कल बिंजना गार्डन में आयोजित बैठक में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का दर्द गुजरात से आए विधायक के सामने भी छलक पड़ा।
वरिष्ठ नेता होलास सोनी ने साफ कहा कि पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है। वे घर बैठ गए हैं। इसी का परिणाम है कि पिछले चार विधानसभा चुनाव में लीड कम होती जा रही है। पहले 25 हजार की लीड थी। फिर दूसरे में 15 हजार पर पहुंच गई। तीसरे में 5 हजार और चौथे में 1100 पर सीमट गई। इस बीच विधायक समर्थक नंदू बोरासी ने विधायक का पक्ष लेते हुए कहा कि बाबा के कार्यकाल में अवैध वसूली, चंदाखोरी, अवैध कब्जा, गुंडागर्दी नहीं होती है। नगर महामंत्री सविता अखंड भी बैठक में मौजूद थीं। उन्हें हारी पार्षद बोलने पर कहा कि मैं नहीं हारी। भाजपा हारी है। उन्होंने यहां तक कहा कि भाजपा को भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी ने हराया है। उनका इशारा मोर्चा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की ओर था। अखंड 45 वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ी थीं। बैठक में नानूराम कुमावत, मुकेश राजवात, अजय सिंह नरूका, प्रताप राजोरिया, राकेश भारद्वाज, राजेश अग्रवाल, रघु यादव, वासुदेव पाटीदार
सहित अन्य वरिष्ठ नेतागण मौजूद थे।
सुबह मंडल और पार्षदों की बैठक
सूरत से आए विधायक संदीप देसाई को पांच नंबर विधानसभा की जिम्मेदारी मिली है। उन्होंने बरसाना गार्डन के पास स्थित होटल में सुबह बैठक ली। इस बैठक में मंडल पदाधिकारियो और पार्षदों के साथ बैठक की गई। सीट की स्थिति की जानकारी जुटाने के साथ ही यहां के समीकरण भी जाने। गौरतलब है कि कल ही गुजरात के विधायक इंदौर पहुंच गए थे। संगठन के निर्देशानुसार गतिविधियां, बैठकें लेना भी शुरू कर दी है।
टिकट तो मिल गया पर प्रचार कैसे करें
प्रदेश में भाजपा संगठन में शाह-नीति का बोलबाला है। कमजोर और हारी सीटों पर पहली सूची जारी हो गई और प्रत्याशियों को 100 दिन का समय जनता के बीच जाने और प्रचार प्रसार के लिए दे दिया गया। संगठन ने तो उल्टी गिनती शुरू कर दी, लेकिन इन प्रत्याशियों के सामने दुविधा ये है कि अभी तक प्रचार प्रसार सामग्री के लिए गाइडलाइन नहीं बताई गई है। इतना ही नहीं नगर भाजपा ने रणनीति के लिए बैठक भी नहीं आयोजित की। ऐसे में प्रत्याशियों के दिन एक एक कर गुजर रहे हैं। वे खुद प्रचार- प्रसार सामग्री तक नहीं तैयार करा पा रहा हैं। क्योंकि फोटो किन नेताओं के लगाए जाएंगे, यह किसी को पता नहीं। इधर राजेश सोनकर को सोनकच्छ से उम्मीदवार बनाया गया तो उनके स्थान पर ग्रामीण जिला अध्यक्ष की कमान किसे सौंपी जाएगी, यह भी तय नहीं है। सोनकर ने अपना पूरा ध्यान अब सोनकच्छ पर लगा दिया। जिससे इंदौर जिले की ग्रामीण राजनीति ठंडी चाल से चल रही है।
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