
इंदौर। एलआइजी से नौलखा के बीच बनाए जाने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर को लेकर मंथन किया जा रहा है ताकि ब्रिज भविष्य में गले की हड्डी न बन जाए। बीआरटीएस ब्रिज पर होगा या जमीन पर ही रहेगा ये फैसला 15 दिन बाद होगा। ये बात भी सामने आई कि बीआरटीएस को ब्रिज पर ले जाते हैं तो 120 करोड़ रुपए अतिरिक्त लग जाएंगे जिसमें बस स्टैंड से लेकर एस्केलेटर व लिफ्ट तक लगानी पड़ेगी।
इंदौर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, एनएचआइ के बनाए जा रहे ब्रिजों को लेकर कल प्राधिकरण में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालङ्क्षसह चावड़ा, विधायक आकाश विजयवर्गीय, सुदर्शन गुप्ता, मधु वर्मा, कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी सहित सभी विभागों के अफसर मौजूद थे।
बैठक में एलआइजी से नौलखा बीआरटीएस पर बनाए जाने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर का मुद्दा छाया रहा। 2019 में कॉरिडोर बनाए जाने का 350 में ठेका हो चुका है। मुद्दा ये है कि ब्रिज नहीं बनाते हैं तो ठेकेदार कम्पनी को 32 करोड़ रुपए शर्त के मुताबिक पीडब्ल्यूडी को देना होंगे तो दूसरी तरफ समय सीमा निकलने के बावजूद ठेकेदार कंपनी ब्रिज बनने के लिए तैयार है।
कुल मिलाकर ब्रिज बनाया जाना ज्यादा फायदे का सौदा है। अब ये तय किया जा रहा है कि ब्रिज कैसा बनाया जाए जो भविष्य में मुसीबत न बन जाए। मुख्य मुद्दा बीआरटीएस को लेकर रहा कि उसे ऊपर रखा जाए या नीचे ही रहने देकर ऊपर से सामान्य गाडिय़ों की आवाजाही रखी जाए। ये बात भी निकलकर सामने आई कि ब्रिज से बसों को दौड़ाने में 120 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च होगा।
उसके पीछे की वजह ये है कि ब्रिज के ऊपर ही स्टेशन बनाने पड़ेंगे तो जनता की सुविधा के लिए एस्केलेटर व लिफ्ट देना होगी। उसके संचालन में बिजली का खर्च हमेशा बना रहेगा। साइड इफेक्ट पर भी विचार किया जा रहा है कि कहीं ब्रिज से बस चलाने में कहीं उसके यात्रियों पर असर न हो जाए। उसकी सवारी मैजिक या टैक्सी में शिफ्ट ना हो जाए।
15 दिन में होगा फैसला पहले भी हो सकता था फैसला
गौरतलब है कि एलआइजी से नौलखा के बीच में एलिवेडेट ब्रिज का ठेका 2019 में ही हो गया था। शर्तें भी सभी को मालूम थीं, लेकिन काम रोक दिया गया। उसका खामियाजा सरकारी खजाने को भुगतना पड़ जाएगा। ठेका कैंसल करते हैं तो 32 करोड़ ठेकेदार को देना पड़ रहे हैं और काम कराएंगे तो भी 20 से 25 करोड़ रुपए ठेकेदार को देरी से साइड मिलने की वजह से मिलेंगे। कुल मिलाकर सरकारी खजाने को चपत लगना तय है।
जमीन पर बीआरटीएस की परेशानी अलग
चर्चा के दौरान ये कहानी भी निकलकर आई कि जमीन पर बीआरटीएस को बनाए रखते हैं तो उसकी समस्या अलग है। नौलखा से एलआइजी आने-जाने वाले वाहनों की संख्या कम है जिससे ब्रिज अनुपयोगी साबित न हो जाए। उसे सफल बनाने के लिए तीन भुजाओं को देना पड़ेगा। ये भुजा गिटार चौराहा, गीता भवन और शिवाजी चौराहे पर बनाई जाएंगी।
ये बात भी सामने आई कि दोनों तरफ से चढऩे का विकल्प दिया जाएगा तो ब्रिज पर सिग्नल देना पड़ जाएगा जो ठीक नहीं है। इसके अलावा एक बड़ी समस्या ये भी आ रही है कि बीआरटीएस नीचे रखते हैं तो बीच में ब्रिज के पिलर बनाए जाएंगे। उस वजह से एक-एक मीटर दोनों तरफ बीआरटीएस चौड़ा किया जाएगा। ऐसे में बाहरी रास्ता संकरा हो जाएगा। खासतौर पर नौलखा से शिवाजी वाटिका के बीच तो फजीहत ही हो जाएगी, क्योंकि सबसे संकरी सड़क यहीं पर है।
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