Motor Insurance: गाड़ी का इंश्योरेंस कराते समय इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगी क्लेम के सेटलमेंट में कोई झंझट

<p>सड़क पर चलने से दुर्घटना का जोखिम भी बना रहता है, इसी कारण वाहनों का इंश्योरेंस (Vehicle Insurance) कराना जरूरी हो जाता है. अगर आपके पास उचित वाहन इंश्योरेंस (Motor Insurance) है तो किसी दुर्घटना की स्थिति में यह आपको आर्थिक परेशानी से बचाता है. बीमा न सिर्फ आपके वाहन को हुए नुकसान को कवर करता है, बल्कि आपके वाहन या ड्राइवर से किसी अन्य को हुए नुकसान की भी भरपाई करता है. इस कारण वाहनों का इंश्योरेंस लेते समय या उन्हें रीन्यू कराते समय सावधाानियां बरतने की जरूरत होती है.</p> <h3>थर्ड पार्टी के बजाय लें ये प्लान</h3> <p>सबसे पहले आपको बता दें कि वाहन दुर्घटनाओं के हिसाब से भारत सबसे खराब देशों में से एक है. यहां सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. यही कारण है कि भारत में थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस (3rd Party Motor Insurance) अनिवार्य है. हालांकि लोगों को हमेशा सलाह दी जाती है कि सिर्फ थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस लेने के बजाय कंप्रहेंसिव कवर लें, क्योंकि यह महज थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की तुलना में बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है.</p> <h3>कंप्रहेंसिव प्लान के ये फायदे</h3> <p>कंप्रहेंसिव इंश्योरेंस किसी दुर्घटना या वाहन को किसी प्रकार के नुकसान की स्थिति में बीमाधारक और थर्ड पार्टी दोनों को कवर करते हैं. इसके साथ-साथ पर्सनल एक्सीडेंट कवर (Personal Accident Cover), ओन डैमेज कवर (Own Damage Cover), 24 घंटे रोड असिस्टेंट (24/7 Road Side Assistance), चोरी से सुरक्षा (Theft Protection) आदि सुविधाएं भी मिलती हैं. वहीं थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में सिर्फ तीसरे पक्ष की जवाबदेहियां कवर होती हैं.</p> <p>किसी भी मामले में सफल दावा करने के लिए सबसे पहले जरूरी हो जाता है कि आप अपनी पॉलिसी को समझ रहे हों और आपको क्लेम करने की सही प्रक्रिया मालूम हो. कुछ मामलों में बीमा कंपनी इंश्योरेंस क्लेम को रिजेक्ट कर देती हैं. अगर आप इन बातों पर ध्यान देते हैं तो आप भी क्लेम रिजेक्ट होने के मामलों से बच सकते हैं...</p> <h3>इन बातों का जरूर रखें ध्यान</h3> <ul> <li><strong>बीमा खरीदने से पहले अन्य प्लान के साथ उसकी तुलना करें. अपनी जरूरत के हिसाब से फीचर्स, बेनेफिट्स और प्रीमियम पर गौर करें.</strong></li> <li><strong>बीमा खरीदते समय इंश्योरेंस क्लेम करने की प्रक्रिया को सही से समझ लें. क्लेम रिजेक्ट होने का सबसे बड़ा कारण यही है.</strong></li> <li><strong>दुर्घटना होने के बाद क्लेम करने में देरी न करें. आप क्लेम करने में जितनी देरी करेंगे, रिजेक्ट होने का जोखिम उतना ज्यादा हो जाएगा.</strong></li> <li><strong>कभी भी झूठे क्लेम न करें. अगर आप क्लेम करते समय ईमानदारी बरतते हैं और पारदर्शिता के साथ काम करते हैं, तो रिजेक्ट होने के चांसेज कम हो जाएंगे.</strong></li> <li><strong>बीमा खरीदते समय इस बात को जरूर देख लें कि संबंधित कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो कितना है.</strong></li> </ul>

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