Ganesh Puja Niyam: सनातन धर्म में सभी शुभ और मंगलकारी कार्यों में सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। दरअसल भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के कार्य निर्विघ्न सफल होते हैं। क्योंकि भगवान गणेश को विघ्न विनाशक देव माना जाता है। लेकिन भगवान गणेश की पूजा में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। जानिए गणेश पूजा से जुड़े नियम।
भगवान गणेश की मूर्ति से जुड़े नियम:
-जब भी भगवान गणेश की प्रतिमा घर पर लाएं तो सबसे पहले उनके सूंड पर ध्यान दें। वास्तु अनुसार दाहिनी तरफ सूंड वाले भगवान गणेश को सिद्धिविनायक कहा जाता है। वहीं बाईं तरफ सूंड वाले गणेश जी को वक्रतुंड कहा जाता है।
-अगर आप घर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि मूर्ति वक्रतुंड गणेश जी की हो अर्थात गणेश जी की ऐसी प्रतिमा लें जिसमें उनकी सूंड बाईं तरफ हो क्योंकि इनकी पूजा में नियम कम होते हैं।
-वक्रतुंड गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि मंदिर की अपेक्षा घर में देवी-देवताओं की पूजा के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करना कुछ मुश्किल होता है। इसलिए बाईं तरफ सूंड वाले गणपति जी की प्रतिमा घर में रखना श्रेष्ठ माना जाता है।
-दाहिने ओर सूंड वाले सिद्धिविनायक गणेश जी की प्रतिमा खासतौर से मंदिरों में स्थापित की जाती है।
गणेश जी की कितनी प्रतिमा घर पर रख सकते हैं?
-यदि आप घर पर नियमित रूप से गणेश जी की पूजा करते हैं तो भूलकर भी उनकी तीन मूर्तियां न रखें। ये बेहद अशुभ माना जाता है।
-घर पर आप उनकी एक या फिर दो ही मूर्ति रख सकते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दोनों मूर्तियां कभी भी आमने-सामने न हों।
-घर पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान गणेश की मूर्ति की नियमित रूप से विधि पूर्वक पूजा करें। उसे घर पर सिर्फ सजा कर न रखें।
-भगवान गणेश ही नहीं किसी भी देवी देवता की खंडित मूर्ति भूल कर भी घर पर न रखें।
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