विश्व पर्यावरण दिवस : पर्यावरण को बचाने में जुटे स्टार्टअप, पानी की बोतल से बना रहे बैग्स

इंदौर।

पर्यावरण के क्षेत्र में काम करते हुए किसानों के बीच पहुंचकर उन्हें उन्नत बनाए जाने के लिए फलदार पौधे लगाए। नदी किनारे भी पौधारोपण किया, लेकिन पर्यावरण के लिए घातक पानी की बोतलें इधर-उधर बिखरीं हुई नजर आईं तो सोचा पर्यावरण बचाया जाए। तब एक आइडिया निकल कर आया। क्यों न सही तरीके से रिसाइकिल कर इनका उपयोग किया जाए। फिर बैग्स से लेकर थैली आदि जो हमारे दैनिक जीवन में उपयोगी हैं का निर्माण करने का काम शुरू किया गया। मनवीर सिंह खुनेजा धरती को प्लास्टिक मुक्त किए जाने के अभियान में जुटे हैं। उन्होंने पानी की बोतलें इकट्ठा कर अब बैग्स, थैली, फाइल फोल्डर आदि बनाना शुरू किया है।

मनवीर बताते हैं कि एक पानी की बोतल 450 साल तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है। हमने पानी की बोतल का इसीलिए चयन किया, क्योंकि इसका पूरी दुनिया में कोई विकल्प नहीं है। हमारे यहां पानी की बोतल का उपयोग बहुत ज्यादा है। हमारे यहां बोतल का उपयोग बहुत ज्यादा है। इसीलिए हमने इसे चुना और इसकी रिसाइकिल शुरू की। हमने इससे हमारे दैनिक उपयोग की वस्तुओं का निर्माण शुरू किया। बैग, डॉक्यूमेंट फोल्डर बैग, डॉक्यूमेंट फोल्डर, लैपटॉप बैग आदि अन्य प्रकार के बैग तैयार करना शुरू किया।

मनवीर ने हाल ही में अपने इस स्टार्टअप के संबंध में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित स्टार्टअप पॉलिसी की लॉन्चिंग के दौरान पीच की थी। यहां भी उनके इस आइडिया को काफी सहराया गया था। मनवीर सिंह बताते हैं कि इसका रिसाइकलिंग किए जाने से पर्यावरण को नुकसान होने से बचा सकते हैं। प्लास्टिक आज जल प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहा है। प्लास्टिक बोतल उपयोग के बाद फेंक दी जाती हैं। ये इधर-उधर जमा होती रहती हैं और जब बारिश होती है तो ये पानी के साथ बहकर नदियों और नालों से होते हुए समुद्र में चली जाती हैं। प्लास्टिक की वस्तुएं हजारों वर्षों तक समुद्र में पड़ी रहती हैं। इनसे धीरे धीरे जहरीले पदार्थ निकलते हैं जो जल को प्रदूषित करते रहते हैं। प्लास्टिक की विघटन प्रक्रिया में 400 से ज्यादा साल लग जाते हैं। इस दौरान वे जहरीली गैसें छोड़ता रहता है जिसके कारण भूमि बंजर हो जाती है।

डब्ल्यूएचओ को दिया प्रेजेंटेशन

उन्होंने बताया कि इन बैग्स को लेकर डब्ल्यूएचओ से भी बातचीत चल रही है। दिल्ली में इसका प्रेजेंटेशन तक उन्हें दिया गया है। इसी के साथ अडानी फाउंडेशन, इंफोसिस सहित कई नामी कंपनियों में सैंपल भेजे हैं।

एकत्रित कर रहे खाली बोतलें

वे बताते हैं कि हमने बड़े स्थानों पर जहां पानी की बोतलों को अधिक उपयोग होता है वहां टायअप कर लिया है। हमारे कार्यकर्ता वहां जाते हैं और उपयोग हो चुकी खाली पानी की बोतलें एकत्रित कर रहे हैं। इसके बाद इन्हें रिसाइकलिंग कर कपड़े में बदलकर अलग- अलग प्रकार के बैग बनाए जाते है।

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