इंदौर। गली-मोहल्लों में स्कूल खुल गए हैं। कहीं किराए के मकान में तो कहीं छोटे प्लॉट पर तीन-तीन मंजिला बिङ्क्षल्डग खड़ी कर स्कूल संचालित हो रहे हैं। खेल मैदान तक नहीं है। स्कूलों में सुविधा के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन मैदानी हकीकत कुछ और है। छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर तो दूर जमीन पर बैठाने के भी पर्याप्त संसाधन नहीं होते हैं। फीस के नाम पर छात्रों को ही नहीं, माता-पिता तक को प्रताडि़त करने से बाज नहीं आते। ऐसा ही एक मामला न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी सिरपुर स्थित गोल्डन एकेडमी का सामने आया है। एक मजदूर परिवार के चार बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन फीस बाकी होने से टीसी व रिजल्ट रोक लिया गया है। परिजन ने कलेक्टर से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी से हस्तक्षेप की मांग की है।
केशव नगर निवासी फरीदा पति मुश्ताक ने बताया कि हम मजदूरी कर चार बच्चों को इस स्कूल में पढ़ा रहे हैं। सालभर की 21 हजार रुपए फीस देते हैं, अब स्कूल संचालक सुनील जायसवाल हमें टीसी और रिजल्ट देने में आनाकानी कर रहा है। इतना ही नहीं, स्कूल जाने पर अभद्र व्यवहार भी करता है। स्कूल में कोई सुविधा नहीं है। 8 से 10 हजार रुपए प्रति छात्र फीस है। आठवीं तक स्कूल है। लेकिन फर्नीचर तो दूर छात्रों को बैठाने के लिए पर्याप्त संसाधन जो जरूरी हैं, वह भी नहीं हैं। कई बार छात्र जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करने को मजबूर हो जाते हैं।
सीढिय़ों से गिर चुके छात्र
फरीदा ने बताया कि 15 बाय 40 के प्लॉट पर तीन मंजिला बिङ्क्षल्डग खड़ी कर उसमें स्कूल चलाया जा रहा है। इसमें छात्रो के लिए खेल मैदान से लेकर अन्य कोई सुविधा नहीं है। पिछले दिनों एक छात्र सीढिय़ां चढ़ते हुए गिर गया था। उसके हाथ में फ्रेक्चर तक हो गया था। यहां पर आए दिन इस प्रकार की घटनाएं होती रहती हैं।
10वीं की भी जिम्मेदारी
फरीदा ने बताया कि एक बेटा 10 वीं में है। स्कूल संचालक ने ही उसका एडमिशन अन्य स्कूल में कराया है। फीस तक वे ही लेते हैं, जबकि उनका स्कूल तो आठवीं तक है। इसके बाद भी वे 9वीं, 10 वीं में छात्रों का एडमिशन कराते हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल संचालक ने हमने वादा किया था कि बच्चों की सभी किताब लोगे तो फीस कम कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं। बस्ता, यूनिफॉर्म नि:शुल्क देने का वादा कर उनका भी शुल्क वसूला जा रहा है।
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