'हिटलर को जगह नहीं दी, अब पुतिन को भी नहीं रखेंगे', पेरिस म्‍यूजियम ने हटाया रूसी राष्‍ट्रपति का वैक्‍स स्‍टैच्‍यू

पेरिस : यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन दुनिया की नजरों में खलनायक बन गए हैं। पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका, यूरोप में पुतिन के खिलाफ रोज प्रदर्शन चल रहे हैं। कुछ पोस्‍टर्स में पुतिन को '21वीं सदी का हिटलर' बताया गया। अब फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित गेविन म्‍यूजियम ने भी पुतिन की तुलना हिटलर से की है। यहां पर पुतिन का एक वैक्‍स स्‍टैच्‍यू लगा हुआ था जिसे हटा दिया गया है। म्‍यूजियम के निदेशक ने न्‍यूज एजेंसी AFP से बातचीत में कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के चलते उन्‍होंने यह फैसला किया है। गेविन म्‍यूजियम के डायरेक्‍टर ने कहा, 'हमने गेविन म्‍यूजियम में कभी भी हिटलर जैसे तानाशाहों को नहीं रखा, आज हम पुतिन को नहीं रखना चाहते।' पुतिन के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले बच्चे गिरफ्तारपुतिन को घर में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जंग के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले स्कूली बच्चों को भी रूसी पुलिस ने कथित तौर पर गिरफ्तार कर लिया है। ओवीडी इंफो की रिपोर्ट के अनुसार रूस के 50 शहरों में युद्ध विरोधी प्रदर्शनों के आरोप में 7000 लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं। इनमें कई बच्चे भी हैं। मॉस्को में मौजूद विपक्षी नेताओं ने स्कूली बच्चों को पुलिस वैन में बैठाकर ले जाने व थाने में रखने की तस्वीरें जारी की हैं। इन बच्चों का कसूर यह है कि इन्होंने जंग के खिलाफ पोस्टर बैनर लहराए थे। इन्हें उग्रवाद व देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा जा सकता है। रूस में सरकार या जंग विरोधी प्रदर्शन करने पर देशद्रोह की धाराओं में केस दर्ज करने का प्रावधान है। बाइडन ने खाई कसम, पुतिन को सबक सिखाएंगेयूक्रेन पर हमला करने को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के राष्ट्रपति को सीधी चुनौती दी है। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को सबक सिखाने का वादा किया है। अपने पहले ‘स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन’ में बाइडन ने कहा, ‘पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ बिना उकसावे वाला युद्ध छेड़ा। इसकी प्लानिंग पहले से चल रही थी। पुतिन जैसे तानाशाह दूसरे देश पर हमले की कीमत चुकाएंगे। हम सभी को मिलकर यूक्रेन का साथ देना है। हमें समझना होगा कि एक रूसी तानाशाह के दूसरे देश पर हमला करने के मायने पूरी दुनिया के क्या हैं। इतिहास से हमने यह सबक सीखा है कि जब किसी तानाशाह को अपनी आक्रामकता की कीमत नहीं चुकानी पड़ती है, तो वह और ज्यादा खतरनाक होने लगता है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में शांति और स्थिरता लाने के लिए नाटो का गठन किया गया था। अमेरिका सहित 29 अन्य देश नाटो के सदस्य हैं। इसकी ताकत मायने रखती है। अमेरिकी कूटनीति मायने रखती है।’


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