मद्रास हाई कोर्ट ने गुंडा एक्‍ट के तहत तमिलनाडु के शिक्षक की नजरबंदी के आदेश को रद्द कर दिया

चेन्‍नई: ने 21 साल से अधिक उम्र की लड़कियों से पांच साल बाद यौन उत्पीड़न के आरोप को अवैध बताते हुए गुंडा अधिनियम के तहत एक स्कूल शिक्षक की नजरबंदी को रद्द कर दिया है। जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस आरएन मंजुला की खंडपीठ ने 7 जनवरी को एक स्कूल शिक्षक राजगोपालन की पत्नी आर सुधा की बंदी के आदेश को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। पिछले साल शिक्षक के खिलाफ आरोप सामने आए थे और इससे लोगों में आक्रोश था। बाद में उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया था। न्यायाधीशों ने पाया कि इस मामले में एकतफा आदे दिया गया था। एक 22 वर्षीय स्वतंत्र फैशन डिजाइनर लड़की ने आरोप लगाया था कि 2015-2016 के दौरान राजगोपालन जो उसका वाणिज्य शिक्षिका था, ने कई मौकों पर अश्लील टिप्पणी की थी। जजों ने कहा क‍ि बिना जमीनी जांच के नजरबंदी का आदेश पारित किया गया था। आदेश में ऑनलाइन क्‍लास के दौरान किए गए दुर्व्यवहार के बारे में भी बताया गया था। जज ने कहा कि‍ प्रभावित लड़कियों की टिप्‍पणी को पढ़ने से पता चलता है कि वे सभी 21 साल और उससे अधिक उम्र की हैं और मुख्य शिकायतकर्ता की तरह हैं और जाहिर तौर पर स्कूल से पास हुई होंगी और 2020-2021 में ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो सकती थीं। इसके अलावा सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान देने वाले चार छात्रों के संदर्भ को नजरबंदी के आधार पर कोई जगह नहीं मिली। उनके नाम भी नहीं बताए गए थे। इसलिए नजरबंदी आदेश को देते समय कई पहलुओं पर ध्‍यान नहीं दिया गया। ऐसे में नजरबंदी के आदेश को रद्द कर दिया गया।


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