नई दिल्ली : इंडिया गेट के नीचे जल रही को () में मिलाने के फैसले पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसका विरोध किया है तो सेना के रिटायर्ड कई अफसर इसे सही कदम बता रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक अपना युद्ध स्मारक नहीं था तब तक अमर जवान ज्योति के सहारे युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले अपने सैनिकों की याद करना सही था, लेकिन अब जब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बन गया है तो इसे अमर जवान ज्योति को अलग से बनाए रखने की जरूरत नहीं है। 'वॉर मेमोरियल में अमर जवान ज्योति को मिलाना सही' 1971 के युद्ध में हिस्सा ले चुके आर्मी के पूर्व डेप्युटी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) बीएस यादव ने भी अमर जवान ज्योति को शिफ्ट करने करने के फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, 'जब हमारी सरकार ने हमारे योद्धाओं और जवानों की याद में तात्कालिक तौर पर अमर ज्योति के तौर पर स्मारक बनाने की आज्ञा दी थी। उस वक्त हमारा युद्ध स्मारक नहीं था। अब हमारे पास राष्ट्रीय युद्ध स्मारक है तो यह उचित होगा कि वॉर मेमोरियल के अंदर ही अमर जवान ज्योति को मिला दिया जाए।' भारतीय सेना के पूर्व डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया ने कहा, 'आज 50 साल बाद अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के ज्योति में मिलाया जा रहा है ये बहुत ही अच्छा फैसला है क्योंकि अमर जवान ज्योति (इंडिया गेट) पर ब्रिटिश भारतीय सैनिकों का नाम है वो हमारे पूर्वज थे।' हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड का आंखों देखा हाल (Republic Daya Parade Commentary) करने वाले ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) चित्तरंजन सावंत ने अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में मिलाने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, 'इंडिया गेट अंग्रेजों का बनाया युद्ध स्मारक है। उसके नीचे अमर जवान ज्योति 1971 के युद्ध में बलिदान हुए हमारे जवानों के लिए बनाई गई है। वहीं, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक 1947 से अब तक जान गंवाने वाले जवानों की याद में बनाया गया है। अमर जवान ज्योति भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में सम्मिलित हो जाएगी।' पूर्व नौसेना चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा, 'अंग्रेजों ने इंडिया गेट का निर्माण प्रथम विश्वयुद्ध और उससे पहले के युद्धों में मारे गए 84 हजार जवानों की याद में किया था। बाद में तात्कालिक तौर पर अमर जवान ज्योति बनाई गई। अब हमारे पास राष्ट्रीय युद्ध स्मारक है। इसलिए, अब ज्योति को वहीं मिलाना उचित होगा।' अमर जवान ज्योति की लौ बुझाना गलत: मनीष तिवारी हालांकि, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पार्टी नेता राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाते हुए फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा, 'भारत के लोगों के अंतरात्मा और उनकी मानसिकता में अमर जवान ज्योति की अपनी एक विशेष स्थान है इसलिए अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाकर इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के ज्योति में मिलाए जा रहा है ये राष्ट्रीय त्रासदी और इतिहास को मिटाने की कोशिश है।' लौ बुझ नहीं रही, जगह बदल रहा है वहीं, सरकारी सूत्रों का कहना है कि अमर जवान ज्योति की लौ बुझ नहीं रही है। इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के ज्वाला में मिला दिया जा रहा है। ये अजीब बात थी कि अमर जवान ज्योति की लौ ने 1971 और अन्य युद्धों में जान गंवाने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी, लेकिन उनका कोई भी नाम वहां मौजूद नहीं है। 1971 और उसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों में सभी जान गंवाने वाले भारतीय जवानों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में रखे गए हैं इसलिए वहां युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय जवानों को देने वाली ज्योति का होना ही सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा, 'ये विडंबना ही है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब हंगामा कर रहे हैं जब युद्धों में जान गंवाने वाले हमारे भारतीय जवानों को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि दी जा रही है।' ध्यान रहे कि इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति की स्थापना इंदिरा सरकार ने 1971 के बांग्लादेश युद्ध में बलिदान हुए 3,843 जवानों की याद में किया था।
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