कटड़ा/जम्मू जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के कटड़ा स्थित मंदिर में श्रद्धालुओं के बीच हुई भगदड़ () में 12 लोगों की दर्दनाक मौत हुई है। इस हादसे में 20 से अधिक लोग घायल हैं और अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं। घटना के बाद प्रशासन से लेकर दिल्ली की सरकार तक सभी हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। लेकिन सवाल उन श्रद्धालुओं की ओर से पूछा जा रहा है, जिनके परिवार के लोग हादसे में हताहत हुए हैं। एक मासूम बच्ची और दो महिलाओं समेत कुल 12 लोगों की जान जाने के बाद सवाल ये है कि उत्तर भारत के सबसे सिक्योर मंदिर के रूप में मशहूर वैष्णो देवी में हादसा हुआ क्यों। वैष्णों देवी मंदिर (Vaishno Devi) में क्राउड कंट्रोल से लेकर सिक्योरिटी तक की हाई क्लास व्यवस्था है। मंदिर में दर्शन के लिए एक यात्रा रजिस्ट्रेशन होता है, जिसकी पर्ची ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड से ली जाती है। इस पर्ची की एक सीमित संख्या ही जारी की जाती है, जिससे कि मंदिर पर क्राउड को कंट्रोल किया जा सके। ये कोटा फिलहाल 25 हजार श्रद्धालुओं का है, जिसकी 20 फीसदी संख्या ऑनलाइन यात्रा पर्चियों के रूप में अलॉट होती है। 'पर्ची और कोविड रिपोर्ट्स की चेकिंग ही नहीं होती' स्थानीय होटल संचालकों और लोगों का कहना है कि बीते कई दिनों से पर्चियों की इस संख्या का कोई मतलब ही नहीं रह गया है। नवरात्र के मौके पर लाखों लोग कटड़ा पहुंचे तो भी कोरोना के खतरे के बावजूद यात्रियों की पर्ची को बाणगंगा चेक पोस्ट पर चेक ही नहीं किया गया। इसके अलावा कोविड रिपोर्ट्स की चेकिंग भी नहीं हुई। 'जब भीड़ बढ़ती है तो पर्ची जारी करना बंद हो जाता है' आम तौर पर तय कोटे के बाद यात्रियों की संख्या बढ़ने पर बाणगंगा चेकपोस्ट के गेट्स बंद करने की व्यवस्था है, जिससे कि मुख्य भवन पर ज्यादा भीड़ ना हो। लेकिन इस बार इसका ध्यान नहीं रखा गया। इसके अलावा मंदिर के मुख्य भवन पर लाइन लगाने के लिए भी अतिरिक्त सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की गई। मंदिर परिसर में तमाम गेट्स हैं, जहां से भीड़ की स्थितियों में श्रद्धालुओं को मंदिर में घुसने की व्यवस्था दी जाती है। इसके अलावा कटड़ा, बाणगंगा, हिमकोटी और मुख्य भवन पर चेक पोस्ट्स भी हैं। सभी से पर्चियों को चेक करने के बाद लोगों को आगे बढ़ने दिया जाता है। इस बार इसे भी इग्नोर किया गया। वीकेंड और न्यू ईयर के कारण और भीड़ हुई हादसे के रोज वीकेंड और शुक्रवार-शनिवार की रात होने के कारण दिल्ली और हरियाणा के श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या यहां पहुंची। कटड़ा बस स्टैंड से लेकर बाणगंगा की चेकपोस्ट तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती रही, लेकिन नीचे से ही भीड़ को रोकने का कोई इंतजाम नहीं हुआ। 12 किलोमीटर की यात्रा के बाद लोग मंदिर पर पहुंचे और जिस वक्त हादसा हुआ सूत्रों का कहना है कि उस वक्त मंदिर भवन पर 50 हजार से अधिक की भीड़ थी और कोटा 25 हजार का ही था। लेकिन सारी व्यवस्थाएं इग्नोर कर लोगों को नहीं रोका गया और भीड़ में एक बड़ा हादसा हो गया।
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