काठमांडू को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। आंतरिक विवाद के चलते अभी तक नेपाल की संसद ने मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) को मंजूरी नहीं दी है। एमसीसी की उपाध्यक्ष Fatema Z Sumar के गुरुवार को नेपाल पहुंचने के साथ ही यह मुद्दा एक बार फिर गर्म हो गया है। नेपाली प्रधानमंत्री की टेंशन इसलिए बढ़ी हुई है क्योंकि सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस इसे मंजूर कराने के लगातार प्रयास कर रही है तो वहीं उसके गठबंधन सहयोगियों नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) और सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) को कुछ आपत्तियां हैं। देउबा को चाहिए ओली का साथअमेरिकी प्रोग्राम मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (MCC) के तहत अमेरिका की सरकार नेपाल को विकास कार्यों के लिए 500 मिलियन डॉलर की मदद मुहैया कराएगी। इस समझौते पर 2017 में साइन हुए थे तब शेर बहादुर देउबा ही नेपाल के प्रधानमंत्री थे। अभी भी देश की कमान उन्हीं के हाथों में है और उनकी मुश्किल की वजह बने हैं हाल ही में नेपाल की सत्ता छोड़ने वाले केपी शर्मा ओली। देउबा को मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल का समर्थन चाहिए, जिसकी कमान ओली के हाथों में है। पीएम एमसीसी के साथ वित्त मंत्रालय ने मांगा जवाबनेपाल के वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को वाशिंगटन डीसी में एमजीसी मुख्यालय को एक पत्र भेजकर सफाई मांगी। मंत्रालय ने जानना चाहा कि क्या यह समझौता 'नेपाल के संविधान से ऊपर है' और क्या यह 'नेपाल की संप्रभुता को कमजोर करता है'? विशेषज्ञों का कहना है कि समझौते की प्रकृति मदद लेने वाले को तय करनी है न कि देने वाले को। वित्त मंत्रालय का नेतृत्व वर्तमान में माओवादी केंद्र के जनार्दन शर्मा कर रहे हैं। उनकी पार्टी का रुख अमेरिकी प्रोग्राम के प्रति बेहद सख्त है। पत्र की भाषा बेहद खराबएक पूर्व राजनयिक ने इस पत्र की आलोचना करते हुए कहा कि हमें नहीं पता कि इस पत्र का मसौदा किसने तैयार किया है लेकिन यह बेहद खराब तरीके से लिखा गया है। यह पत्र संविधान और संप्रभुता को समझने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। नेपाली कांग्रेस के संयुक्त महासचिव प्रकाश शरण महत ने कहा कि प्रधान मंत्री देउबा को पत्र में उठाए गए सवालों की पूरी जानकारी थी। उन्होंने काठमांडू पोस्ट को बताया कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के बीच एक समझौता हुआ था। ओली ने खोला मोर्चाअमेरिका के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) समझौते को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने एमसीसी समझौते को लेकर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओवादी केंद्र के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के विचार मांगे हैं। ओली ने अपने कार्यकाल के दौरान चीन के दबाव में अमेरिका के इस समझौते को मंजूरी नहीं दी थी। शनिवार को यूएमएल काठमांडू मेट्रोपॉलिटन के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ओली ने एमसीसी पर देउबा और प्रचंड के रुख पर आश्चर्य जताया। ओली ने आक्रोश जताया कि दोनों नेता चालाकी से एमसीसी को पारित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन के दूसरे नेता भी इस मुद्दे पर चुप है।
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