काबुल अफगानिस्तान में तालिबान सरकार गठन की तैयारियां कर रहा है। इसी बीच आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद शनिवार सुबह काबुल पहुंचे। जनरल फैज तालिबान शूरा के बुलावे पर काबुल पहुंचने वाले सर्वोच्च रैंकिंग वाले विदेशी अधिकारी हैं। इसमें पाकिस्तान भी हस्तक्षेप कर रहा है क्योंकि तालिबान और पाकिस्तान की दोस्ती बहुत पुरानी है। इसका दूसरा कारण हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तानी खुफिया एजेंस आईएसआई के बीच घनिष्ठता है। तालिबान को ट्रेनिंग देगी पाकिस्तान सेनामाना जा रहा है कि इस मुलाकात में दोनों पक्षों के बीच पाक-तालिबान सुरक्षा आर्थिक व्यापार संबंधों के तत्काल भविष्य पर चर्चा हो सकती है। दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान आर्मी सुरक्षा के क्षेत्र में तालिबान नेतृत्व वाले अफगानिस्तान की मदद करेगी और उन्हें ट्रेनिंग देगी। पाकिस्तान मौके का फायदा उठाना चाहता है। वह अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी सरकार का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करना चाहता है। लिहाजा यह भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है। कश्मीर पर तालिबान की बयानबाजी शुरूअफगानिस्तान में शरिया कानून के आधार पर इस्लामिक सरकार बनाने का ऐलान करने वाले तालिबान ने कश्मीर पर भी बयानबाजी तेज कर दी है। दुनिया के सामने तालिबान का बदला चेहरा पेश करने की कोशिश करते आ रहे प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने इसे मुस्लिम होने के नाते अपना हक बताया है। शाहीन ने BBC से बातचीत में कहा कि हम आवाज उठाएंगे और कहेंगे कि मुसलमान आपके लोग है, अपने देश के नागरिक हैं। आपके कानून के मुताबिक वे समान हैं। मुस्लिमों के पक्ष में उठाएंगे आवाजशाहीन ने कहा कि उनके समूह का इरादा किसी भी देश के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करने का नहीं है... मुसलमान होने के कारण भारत के कश्मीर में या किसी भी दूसरे देश में मुस्लिमों के पक्ष में आवाज उठाने का अधिकार उनके पास है। उनके इस बयान के बाद सवाल उठने लगे कि आखिर यह कट्टर इस्लामिक संगठन अब तक उइगर मुस्लिमों के हालात पर चुप क्यों है? क्या वह प्रताड़ित मुस्लिम समुदाय नहीं है? उनसे चीन के शिनजियांग प्रांत में बने डिटेंशन कैंप्स में जारी मानवाधिकार उल्लंघन पर भी सवाल किया गया है
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