नई दिल्ली कांग्रेस इस समय जबरदस्त अंदरूनी संकट से जूझ रही है। पंजाब में वह नेताओं की आपसी खींचतान को जितना सुलझाने की कोशिश कर रही है, मामला उतना ही उलझ जा रहा। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीजेपी में जाने को लेकर अटकलें तेज हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी जैसे किसी सोए हुए ज्वालामुखी पर बैठी हो जिसमें कभी भी विस्फोट हो सकता है। ऐसे नाजुक वक्त में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के G-23 गुट ने सीधे हाई कमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ तलवारें खींच ली है। G-23 ने खोला मोर्चा राज्यों में पार्टी की बढ़ती अंदरूनी कलह, एक-एक कर बड़े नेताओं के दूसरी पार्टियों में जाने और पंजाब में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच G-23 नेता इसे अपनी आवाज बुलंद करने का सबसे सही वक्त के तौर पर देख रहे हैं। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को खत लिखकर जल्द से कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक बुलाने की मांग की है। कपिल सिब्बल ने तो यह कहकर सीधे-सीधे नेतृत्व को ही कठघरे में खड़ा कर दिया कि किसी को नहीं पता कि पार्टी में फैसले कौन लेता है। उनके निशाने पर सीधे-सीधे कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी है। सुबह बैठक, दोपहर में सिब्बल का बयान...G-23 की रणनीति बुधवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात को लेकर दिनभर सियासी सरगर्मियां तेज रहीं। पंजाब में चल रहे ड्रामे से कांग्रेस हाई कमान सकते में है। कैप्टन को निपटाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू खुद ही पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके समर्थक मंत्रियों ने भी चन्नी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। आलाकमान ने पूरे मसले को स्टेट यूनिट के जिम्मे छोड़ दिया है। अब तो ऐसी अटकलें भी लगने लगी हैं कि पंजाब कांग्रेस को मंझधार में डालकर सिद्धू खुद ही अलग रास्ता नाप सकते हैं। कांग्रेस के लिए ऐसे नाजुक वक्त में G-23 नेताओं का मोर्चा खोलना उनकी रणनीति का हिस्सा दिखता है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को सुबह गुलाम नबी आजाद के घर पर G-23 के नेताओं ने बैठक की। इसमें तय हुआ कि पार्टी में संगठन चुनाव और उसके कायापलट की उनकी पुरानी मांग के लिए लिए आवाज उठाने का इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता। इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को जल्द से जल्द सीडब्लूसी की मीटिंग बुलाने के लिए खत लिखा। दोपहर में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल मीडिया से मुखातिब हुए और सीधे पार्टी नेतृत्व के लिए नसीहतों की झड़ी लगा दी। आनंद शर्मा ने की सिब्बल के घर 'हमले' की निंदा सिब्बल के बयान पर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का गुस्सा भड़क गया। कुछ कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में उनके घर का घेराव किया। सड़े हुए टमाटर फेंके गए। 'गद्दारो पार्टी छोड़ो' के नारे लगाए गए। G-23 के ही एक अन्य सदस्य पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने सिब्बल के घर पर 'हमले' और हुड़दंग पर हैरानी जताते हुए इसे घिनौना बताया है। उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। क्या कहा सिब्बल ने कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कांग्रेस के पास अध्यक्ष ही नहीं हैं। हमें नहीं पता कि फैसला कौन ले रहा है। उन्होंने कहा कि हम जी-23 हैं, जी हुजूर-23 नहीं। हम कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं। उन्होंने गांधी परिवार पर इशारों में तंज कसते हुए कहा कि जो लोग इनके खासमखास थे वे पार्टी छोड़कर चले गए। जिन्हें ये खासमखास नहीं समझते वे आज भी इनके साथ खड़े हैं। उनका इशारा ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितेंद्र प्रसाद और सुष्मिता देव जैसे नेताओं की तरफ था जिन्हें गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता था लेकिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया। सिब्बल ने कहा, ‘हमारे लोग हमें छोड़कर जा रहे हैं। सुष्मिता (देव) जी चली गईं और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री (लुईजिन्हो) फालेरयो भी चले गए। जितिन प्रसाद चले गए, (ज्योतिरादित्य) सिंधिया चले गए, ललितेश त्रिपाठी चले गए, अभिजीत मुखर्जी भी चले गए। कई अन्य नेता चले गए। सवाल उठता है कि ये लोग क्यों जा रहे हैं? हमें यह खुद सोचना होगा कि शायद हमारी भी कोई गलती रही होगी।’ पंजाब को लेकर कैप्टन अमरिंदर की भाषा बोलते हुए सिब्बल ने कहा, 'सीमावर्ती राज्य है। वहां आईएसआई फायदा उठा सकती है। हम जानते हैं कि सीमापार के तत्व वहां अस्थिरता पैदा कर सकते हैं...कांग्रेस को सुनिश्चित करना है कि सब एकजुट रहे।’ उन्होंने कहा, ‘पार्टी के भीतर खुलकर चर्चा हो, एक दूसरे के विचार को सुने जाएं। संगठन का ढांचा होना चाहिए। सीडब्ल्यूसी का चुनाव हो।’ क्या टूट जाएगी कांग्रेस? कैप्टन अमरिंदर सिंह अभी दिल्ली में ही हैं। ऐसी अटकलें हैं कि वह G-23 के नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। अब सिब्बल का सीधा अटैक, गुलाम नबी आजाद का लेटर बम, मनीष तिवारी की नसीहतें, आनंद शर्मा का पार्टी को सहिष्णुता और उसके मूल्यों की याद दिलाना...G-23 नेता अब आर-पार के मोर्चे के लिए तैयार दिख रहे हैं। पंजाब संकट ने उन्हें अपनी बात कहने का एक बड़ा मौका मुहैया कराया है। कांग्रेस पार्टी के लिए इस वक्त संकट बहुत बड़ा है। G-23 नेताओं की 'बगावत' पार्टी में टूट का सबब भी बन सकता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मिलकर G-23 के नेताओं के अलग पार्टी बनाने की आशंकाओं को कांग्रेस हल्के में नहीं ले सकती। कांग्रेस में टूट का इतिहास बहुत पुराना है। हाल के दशकों में ही शरद पवार, ममता बनर्जी, एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता कुछ ऐसे ही हालात में अलग होकर नई पार्टियां बना ली। क्या है कांग्रेस का G-23 समूह दरअसल, ये वे नेता हैं जिन्होंने पिछले साल पार्टी नेतृत्व और उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी को खत लिखा था। इन नेताओं ने जल्द से जल्द संगठन चुनाव कराने की मांग की थी। खत लिखने वाले 23 नेताओं में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, जितेंद्र प्रसाद, मुकुल वासनिक, वीरप्पा मोइली, मिलिंद देवड़ा, रेणुका चौधरी, राजिंदर कौर भट्टल, विवेक तन्खा, राज बब्बर जैसे नेता शामिल थे। जितेंद्र प्रसाद तो अब बीजेपी में जा चुके हैं। कुछ नेताओं को आलाकमान मनाने में कामयाब भी हुई है। लेकिन ज्यादातर नेताओं के पुराने तेवर बरकरार है। मनीष तिवारी ने कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल किए जाने का भी विरोध किया है और सरहदी राज्य पंजाब पर खास ध्यान देने की नसीहत दी है। गुलाम नबी आजाद ने सीडब्लूसी की बैठक के लिए सोनिया को खत लिखा है। सिब्बल प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कांग्रेस के 'प्रथम परिवार' के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आनंद शर्मा भी रह-रहकर पार्टी संगठन में बदलाव की मांग करते रहते हैं। मिलिंद देवड़ा को लेकर भी अटकलें लगती रहती हैं कि वह कांग्रेस को छोड़ सकते हैं।
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