Janmashtmi 2021: इस बार जन्माष्टमी में बन रहा है अनूठा संयोग, मिलेगा फल लेकिन पूजा के दौरान न करें ये 5 गलतियां

इंदौर। वर्षों बाद इस वर्ष योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य उत्सव विशेष योग-संयोग में मनेगा। श्रीकृष्ण के जन्म के समय जो दुर्लभ संयोग बने थे, वह इस वर्ष जन्माष्टमी पर बन रहे हैं। 30 अगस्त को सूर्योदय कालीन अष्टमी तिथि हैं जो रात 1.59 बजे तक रहेगी। अर्धरात्रि व्यापिनी रोहिणी नक्षत्र भी दूसरे दिन सुबह 9.43 बजे तक रहेगा। इस प्रकार सूर्योदय कालीन अष्टमी तिथि अर्धरात्रि व्यापिनी भी रहेगी। रोहिणी नक्षत्र भी अर्धरात्रि में रहेगा। वृषभ राशि का चंद्रमा भी है। सर्वार्थ सिद्धि के साथ लक्ष्मी-नारायण योग इस पर्व की शोभा बढ़ाएंगे।

आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया, धर्मशास्त्रों की मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान का प्राकट्य भाद्र मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि बुधवार, रोहिणी नक्षत्र व वृषभ राशि के चन्द्रमा में अर्धरात्रि में हुआ था। इस प्रकार इस वर्ष जन्माष्टमी पर जयंती योग इस पर्व को कृष्ण भक्तों के लिए कुछ खास बना रहा है। धर्मशास्त्रकारों ने इस प्रकार के दुर्लभ योग संयोग को देश-दुनिया के लिए अच्छा व शुभ बताया है।

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6 विशेष संयोग

भाद्र मास, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि का चंद्रमा, अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र । ये 6 मुख्य योग जन्माष्टमी को विशेष पुण्य फलदायी बना हैं। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि व लक्ष्मी नारायण योग भी हैं। पुण्य संचय से ही इस प्रकार के दुर्लभ योग की प्राप्ति कलियुग में होती है।

ग्रंथों में लिखा महत्व

विष्णु रहस्य, गौतमी तंत्र, पद्मपुराण आदि ग्रंथों में इस महायोग में व्रत, उपवास करने से पितृ यदि प्रेतयोनि को प्राप्त हुए हो तो वे प्रेतयोनि से मुक्त हो जाते हैं। जयंती योग में किया गया उपवास करोड़ों यज्ञों का फल देने वाला कहा है। इस प्रकार धर्मशास्त्रीय ग्रंथों में इस दुर्लभ योग की बड़ी ही महिमा बताई गई है।

न करें ये गलतियां

- भगवान श्री कृष्ण की पूजा में स्टील या लोहे के दीपक का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए उनकी पूजा में पीतल, ताँबे या मिट्टी के दीपक का ही प्रयोग करें। साथ ही भगवान विष्णु या श्री कृष्ण के सामने जब भी दीपक जलाएं तो दीपक के नीचे थोड़े से अक्षत जरूर लगा लें ।

- श्री कृष्ण की पूजा करने बैठें तो ध्यान रखें कि काले रंग के व गंदे वस्त्र न पहने हों। इसके बजाय पुरुष धोती और महिलाएं साड़ी पहनकर पूजा कर सकती हैं।

- पूजा करने बैठें तो तुलसी का एक पत्ता नियमित रूप से भगवान की मूर्ति के सिर पर अवश्य डालें. साथ ही प्रसाद में तुलसी के पत्तों को शामिल करें. बिना तुलसी के होने वाली पूजा अधूरी मानी जाती है और भगवान भी इसे स्वीकार नहीं करते।

- घर में बाल गोपाल हैं तो मांस-मदिरा का सेवन, गलत व्यवहार और अधार्मिक कार्यों से बचना चाहिए।

- भगवान का पूजन करते समय अपने मुख को शुद्ध रखें. पूजा शुरू करने से पहले आचमन कर लें और पूजन के समय मुंह में कुछ भी न रखें।



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