Sawan Shiv: अगस्त 2021 के पहले ही सप्ताह ये दो दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अति विशेष

इन दिनों भगवान शिव का प्रिय मास सावन चल रहा है जो हिंदू कलैंडर का पांचवां महीना है। सावन का यह माह 22 अगस्त 2021 तक रहेगा। ऐसे में इस बार सावन के दौरान अगस्त 2021 के पहले सप्ताह में आने वाले 02 लगातार दिन (गुरुवार व शुक्रवार) भगवान शिव की पूजा के लिए अति विशेष हैं।

दरअसल एक ओर जहां सावन को भगवान शिव का विशेष माह माना जाना जाता है, वहीं इस बार जहां गुरुवार, 05 अगस्त के दिन प्रदोष व्रत (कृष्ण) व इसके ठीक दूसरे दिन यानि शुक्रवार, 06 अगस्त को मासिक शिवरात्रि पड़ रही है।

ऐसे में भगवान शिव के प्रिय सावन माह में लगातार 2 दिनों तक भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष दिनों का योग बन रहा है।

गुरु प्रदोष व्रत (कृष्ण): गुरुवार, 05 अगस्त 2021 :-
सावन का प्रदोष व्रत अगस्त 2021 में गुरुवार, 5 अगस्त को रखा जाएगा। प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन रखे जाने वाले इस व्रत के संबंध में मान्यता है कि यह व्रत रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं भगवान शिव का प्रिय मास होने के चलते सावन में इसका महत्व और अधिक बड़ जाता है।

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त : श्रावण, कृष्ण पक्ष :

त्रयोदशी तिथि शुरु 5 अगस्त को 05:09 PM से

त्रयोदशी तिथि समाप्त 6 अगस्त को 06:28 PM तक

प्रदोष काल-07:09 PM से 09:16 PM तक

गुरु प्रदोष का महत्व :
: बृहस्पतिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत गुरु प्रदोषम कहलाता हैं।
: गुरु प्रदोष व्रत को लेकर मान्यता है कि इसे करने से उपासक के जीवन में आने वाली बाधाएं तो दूर होती ही हैं, साथ ही शत्रुओं का भी नाश होता है।

गुरु प्रदोष पूजा विधि:
सावन में प्रदोष के इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और यदि मुमकिन हो व्रत का संकल्प भी लें। इसके साथ ही भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।

इसके बाद भगवान शंकर को पुष्प चढ़ाएं। प्रदोष के इस दिन शिव के साथ माता पार्वती व भगवान श्रीगणेश की भी पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं। इसके बाद भगवान शिव की आरती के अलावा पूरे दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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मासिक शिवरात्रि: शुक्रवार, 06 अगस्त 2021 :-
सावन 2021 की मासिक शिवरात्रि शुक्रवार 6 अगस्त को पड़ेगी। यूं तो मुख्यरूप से महाशिवरात्रि का महत्व माना ही जाता है, परंतु हर माह पड़ने वाली शिवरात्रि भी काफी महत्व रखती है। हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि आती है।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त :
चतुर्दशी तिथि का शुभारंभ- 06 अगस्त : 06:28 PM से
चतुर्दशी तिथि का समापन- 07 जून : 07:11 PM तक

पंडित एके शुक्ला के अनुसार इस सावन की मासिक शिवरात्रि में शिव पूजा का शुभ समय 6 अगस्त की रात 12:06 बजे से रात 12:48 बजे के बीच करीब 42 मिनट का है।

मासिक शिवरात्रि को संन्यासियों और योगियों के साथ ही गृहस्थों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शिव भक्त व्रत भी करते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव का ध्यान मानसिक शांति प्रदान करता है।

वहीं सावन की शिवरात्रि भगवान शिव के प्रिय मास में होने के चलते अत्यंत खास भी मानी जाती है। ऐसे में इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, दूध और जल अर्पित करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाओं के पूरा होने तो माता पार्वती भक्तों को शक्ति का वरदान देती हैं। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भगतों को शिवचालीसा के अलावा शिव पुराण अथवा शिवाष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए।

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मासिक शिवरात्रि की व्रत विधि :
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद सफेद रंग के साफ वस्त्र पहनें। फिर पूजा स्थान पर शिव परिवार यानि भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी पूजा करें। मासिक शिवरात्रि की पूजा में शिव परिवार को पंचामृत से स्नान करने के अलावा इस दौरान पूजा में बिल्व पत्र, फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य को अवश्य शामिल करना चाहिए।

ध्यान रहे शिव पूजा से पहले हमेशा माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए, माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं।

पूजन से पहले घर के पूजा स्थान को भी साफ करना चाहिए। वहीं इस दिन भक्त को घर या मंदिर के शिवलिंग का घी, दूध, शहद, दही, जल आदि से रुद्राभिषेक करना चाहिए। सावन माह की इस शिवरात्रि के दिन शिवलिंग या शिव जी की प्रतिमा को बेलपत्र, श्रीफल, धतूरा आदि अर्पित करना चाहिए।

व्रत के दौरान उपासक को शिव साहित्य या शिव जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। वहीं शाम के वक्त भगवान करने के बाद प्रसाद बांटना चाहिए और स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए। इसके बाद फलहार करना चाहिए। व्रत के अगले दिन शिव जी की पूजा से पहले दान-पुण्य करना चाहिए और पूजा के बाद व्रत खोलना चाहिए।

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