तब गिलानी, अब इमरान खान, अपनी आदत से बाज नहीं आया 'पलटू' पाकिस्तान

इस्‍लामाबाद पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार भारत के साथ रिश्‍ते सुधारने की द‍िशा में एक कदम आगे बढ़कर फिर पलट गई है। पाकिस्‍तान की कैबिनेट ने देश की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के भारत से कपास और चीनी आयात करने के प्रस्ताव को गुरुवार को खारिज कर दिया। अब इस पूरे मामले में एक नया खुलासा हुआ है। पाकिस्‍तान मीडिया के मुताबिक भारत के साथ व्‍यापार को फिर से शुरू करने को खुद पीएम इमरान खान ने मंजूरी दी थी लेकिन जब राजनीतिक दलों ने उन्‍हें घेरा तो वह पलट गए। वैसे पाकिस्‍तान के लिए यह नया नहीं है। साल 2012 में भी पाकिस्‍तान की युसूफ र‍जा गिलानी सरकार ने भारत को मोस्‍ट फेवर्ड का फैसला लिया लेकिन बाद में पलट गई थी। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्‍ते तब तक सामान्‍य नहीं हो सकते हैं जब तक कि भारत जम्‍मू-कश्‍मीर के विशेष दर्जे को खत्‍म करने के फैसले की समीक्षा नहीं करता है। यह फैसला पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री हम्माद अजहर की ओर से बुधवार को की गई उस घोषणा के बाद आया जिसमें उन्होंने अपनी अध्यक्षता में हुई ईसीसी की बैठक के बाद भारत से कपास और चीनी के आयात पर लगे करीब दो साल पुराने प्रतिबंध को वापस लेने की घोषणा की थी। 'भारत के साथ संबंध सामान्य होना संभव नहीं' कुरैशी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंत्रिमंडल ने भारत से कपास और चीनी के आयात के मुद्दे पर चर्चा की। कुरैशी ने एक वीडियो संदेश में कहा, 'ऐसा पेश किया जा रहा है कि भारत के साथ संबंध सामान्य हो गए हैं और व्यापार बहाल हो गया है…। इस रुख पर प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सर्वसम्मत राय है कि जब तक भारत पांच अगस्त 2019 की एकतरफा कार्रवाई को वापस नहीं लेता, भारत के साथ संबंध सामान्य होना संभव नहीं है।' बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि मंत्रिमंडल ने भारत के साथ संबंध और व्यापार के मुद्दे पर चर्चा की। साथ ही यह फैसला किया कि चीजों में तब तक प्रगति नहीं हो सकती जब तक भारत कश्मीर पर पांच अगस्त 2019 को उठाया गया अपना कदम वापस नहीं ले लेता। उन्होंने कहा, 'हम भारत के साथ सहयोग करना चाहते हैं लेकिन पहली शर्त यह है कि उसे कश्मीर पर 5 अगस्त 2019 से पहले के रुख पर वापस जाना होगा।' इस बीच पाकिस्‍तान के मंत्रियों के दावों के उलट पाकिस्‍तानी मीडिया ने खुलासा किया है कि भारत से कपास और चीनी आयात के फैसले को खुद पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान ने लिया था। इस फैसले को 26 मार्च को पीएम इमरान खान ने भारत के साथ आयात को मंजूरी दी थी। उस समय वह वित्‍त मंत्रालय का प्रभार देख रहे थे लेकिन जब राजनीतिक दबाव बढ़ा तो उन्‍हें अपने फैसले से पीछे हटना पड़ा। चूंकि भारत से आयात का फैसला इमरान खान का था, इसलिए उच्‍चाधिकार प्राप्‍त समिति (ECC) ने भी इसे अपनी मंजूरी दे दी थी। अपने फैसले से युसूफ रजा गिलानी भी गए थे पलट इससे पहले साल 2012 में पाकिस्‍तान की युसूफ रजा गिलानी सरकार ने भारत को मोस्‍ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देने का फैसला क‍िया था लेकिन जिस दिन इसे कैब‍िनेट से मंजूरी देने की नौबत आई तो उसने फैसले को टाल दिया। उसी दौरान भारत से पेट्रोल-डीजल और बिजली खरीदने को लेकर भी दोनों देशों के बीच में कई बैठकें हुई थीं और सौदे का पूरा खाका भी तैयार हो गया था लेकिन जब भारत ने इसकी आपूर्ति की पूरी प्‍लानिंग की बात की तो पाकिस्‍तानी अधिकारियों ने इससे किनारा कर लिया। बता दें कि भारत के पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिये जाने के बाद से दोनों देशों में व्यापार संबंध ठप हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्माता है। अजहर के फैसले को लेकर दोपहर बाद से ही कयास लग रहे थे लेकिन अधिकारी खामोश थे और अंतत: फैसले को लेकर पहली टिप्पणी मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी की तरफ से आई जिन्हें कश्मीर को लेकर उनके कट्टर रुख के लिये जाना जाता है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मजारी ने ट्वीट किया, 'मंत्रिमंडल ने आज स्पष्ट रूप से कहा कि भारत के साथ कोई व्यापार नहीं होगा।'


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