Tata Sons vs Cyrus Mistry Latest News: टाटा ग्रुप के हक में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साइरस मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन बनाना रतन टाटा की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रतन टाटा आज निश्चित ही चैन की सांस ले रहे होंगे। और, मैं साइरस मिस्त्री के गुणों, उनकी क्षमता, कुशाग्रता और नम्रता से प्रभावित हूं... 23 नवंबर 2011 को कहे अपने इन शब्दों के लिए उन्हें गहरा अफसोस भी जरूर होगा। यह वह तारीख थी जब लंबी तलाश के बाद रिटायरमेंट ले रहे टाटा को वारिस मिला था। इसके लिए साइरस टाटा संस में सबसे अधिक 18 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले शापूरजी पलोनजी के 43 साल के बेटे साइरस मिस्त्री को चुना था।
लेकिन टाटा के लिए यह फैसला कैसे जिंदगी का सबसे बड़ा दुस्वप्न बना, यह सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी भी बताती है, जिसने इसे टाटा की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती करार दिया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने शुक्रवार को साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद से हटाए जाने को सही करार दिया था।
'साइरस को चेयरमैन बनाना टाटा की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती'
सुप्रीम कोर्ट कहा कि एसपी समूह की कंपनियों का रतन टाटा को शैडो डायरेक्टर कहना ठीक नहीं। कोर्ट ने कहा कि साइरस मिस्त्री उस कंपनी के निदेशक मंडल के चेयरमैन थे, जिसने टाटा को 100 अरब डॉलर के टाटा समूह का मानद चेयरमैन नियुक्त किया था। चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने मिस्त्री की टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में नियुक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि ‘जिस व्यक्ति को उसी दरवाजे से प्रवेश मिला है, बाहर निकलने पर वह उसकी आलोचना नहीं कर सकता।’’ पीठ ने कहा, ‘‘जिस बोर्ड के चेयरमैन साइरस मिस्त्री थे, उसी ने रतन टाटा को मानद चेयरमैन नियुक्त कर उनके समर्थन और मार्गदर्शन की इच्छा जताई थी, ऐसे में शिकायतकर्ता कंपनियों के लिए टाटा को छाया निदेशक कहना उचित नहीं है।’
उत्तराधिकारी ही लगा रहा ऐसे आरोप... विडंबना है: SC
कोर्ट ने कहा कि यह विडंबना है कि एक ऐसा व्यक्ति जो टाटा संस की कुल चुकता पूंजी के केवल 18.37 प्रतिशत के शेयरधारकों का प्रतिनिधित्व करता हो, फिर भी कंपनी के बोर्ड ने उसे कंपनी के औद्योगिक साम्राज्य के उत्तराधिकारी की मान्यता दे दी है, वह व्यक्ति उसी बोर्ड पर ‘अल्पांश शेयरधारकों के हितों का दमन और उनके साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगा रहा है।’
फैसले पर रतन टाटा ने क्या कहा?
न्यायालय ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के 18 दिसम्बर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को टाटा समूह का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था। टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग फर्म टाटा संस ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से उसका पक्ष सही साबित हुआ है। रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री के साथ विवाद के मामले में शुक्रवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का यह फैसला इस बात को साबित करता है कि टाटा संस अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर हमेशा अडिग रहा है।
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— Ratan N. Tata (@RNTata2000) 1616742606000
'टाटा संस अपने सिद्धांतों पर अडिग'रतन टाटा ने ट्वीट कर कहा कि मेरे ग्रुप की ईमानदारी और नैतिकता को लेकर लगातार हमले किए गए। यह फैसला इस बात को साबित करता है कि टाटा संस अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर हमेशा अडिग रहा है। ट्वीट में रतन टाटा ने यह भी लिखा कि ये हमारी न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को प्रदर्शित करता है।
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