साल 2021 का दूसरा महीना यानी फरवरी खत्म होने वाला है, इसके बाद मार्च शुरु हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, अब मार्च में विजया एकादशी, प्रदोष व्रत, महाशिवरात्रि के अलावा होली जैसे व्रत और त्योहार आएंगे।
इस महीने की शुरुआत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया के साथ अमृत काल से हो रही है। महीने की शुरुआत दिनों यानि मार्च के दूसरे ही दिन प्रथम प्रथम पूज्य गणेश भगवान के व्रत अंगारक चतुर्थी / संकष्टी चतुर्थी से हो रही है। आइये जानते हैं कि मार्च 2021 में कौन-कौन से मुख्य व्रत और त्योहार आएंगे-
अंगारक चतुर्थी (संकष्टी चतुर्थी : 2 मार्च, मंगलवार)
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अंगारक /अंगारकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे साल भर के चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त होता है।
शुभ मुहूर्त : हिन्दू कैलेंडर के फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 02 मार्च दिन मंगलवार को प्रात: 05 बजकर 46 मिनट पर हो रहा है। इसका समापन 03 मार्च दिन बुधवार को तड़के 02 बजकर 59 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में चतुर्थी की पूजा और व्रत 02 मार्च को की जाएगी।
चंद्रोदय का समय
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र देव रात में 09 बजकर 41 मिनट पर उदित होंगे। गणेश चतुर्थी के व्रत में चंद्र दर्शन का महत्व होता है, इसलिए महिलाएं चंद्रमा के उदित होने की प्रतीक्षा करती हैं।
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विजया एकादशी (9 मार्च, मंगलवार)
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकदाशी के नाम से जाना जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 9 मार्च दिन मंगलवार को है। शास्त्रों में विजया एकादशी को सभी व्रतों में सबसे उत्तम माना गया है और इस व्रत के करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। विजया एकादशी का व्रत करने से दोनों लोकों में विजय मिलती है। भगवान विष्णु की आराधना करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह सबसे उत्तम व्रत है।
विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त...
एकादशी तिथि आरंभ- 08 मार्च 2021 दिन सोमावर दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2021 दिन मंगलवार दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर
एकादशी व्रत पारण समय-10 मार्च बुधवार को प्रात: 6 बजकर 36 मिनट से सुबह लेकर 08 बजकर 58 मिनट तक
महाशिवरात्रि (11 मार्च, गुरुवार)
हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पर पड़ने वाली चतुर्दशी की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बहुत धुमधाम से मनाया जाता है और इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। मान्यता है कि इस भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन सच्चे मन से शिव-पार्वती की पूजा करने से सभी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
इस दिन सुबह 09 बजकर 22 मिनट तक महान कल्याणकारी 'शिवयोग' भी विद्यामान रहेगा। उसके बाद सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाला 'सिद्धयोग' आरम्भ हो जाएगा।
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मार्च 2021 — त्यौहार
02 मंगलवार : संकष्टी चतुर्थी
09 मंगलवार : विजया एकादशी
10 बुधवार : प्रदोष व्रत (कृष्ण)
11 गुरुवार : महाशिवरात्रि , मासिक शिवरात्रि
13 शनिवार : फाल्गुन अमावस्या (शनैश्चरी अमावस्या का योग)
14 रविवार : मीन संक्रांति
17 मार्च: विनायक चतुर्थी
25 गुरुवार : आमलकी एकादशी
26 शुक्रवार : प्रदोष व्रत (शुक्ल)
28 रविवार : होलिका दहन , फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
29 सोमवार : होली
30 मार्च: होली भाई दूज या भातृद्वितीया
31 बुधवार : संकष्टी चतुर्थी
शनि अमावस्या (फाल्गुन अमावस्या : 13 मार्च, शनिवार)
सनातन धर्म में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है और यह शुभ तिथि इस बार 13 मार्च दिन शनिवार को पड़ रही है इसलिए इस दिन शनैश्चरी अमावस्या का योग बना है। अगर आप शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित हैं तो शनि अमावस्या का दिन आपके लिए विशेष शुभ है। इस अवसर शनिदेव की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं।
फाल्गुन अमावस्या मुहूर्त...
मार्च 12, 2021 को 15:04:32 से अमावस्या आरम्भ
मार्च 13, 2021 को 15:52:49 पर अमावस्या समाप्त
आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी (25 मार्च, गुरुवार)
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहते हैं। इस बार यह शुभ तिथि 25 मार्च दिन गुरुवार को है। होली से पहले पड़ने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हों, उनको आंवला का जरूर सेवन करना चाहिए। इससे कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। मथुरा में रंगभरनी एकादशी के दिन बांके बिहारी की होली का इस साल विशेष आयोजन होता है।
शुभ मुहूर्त -
आमलकी एकादशी पारणा मुहूर्त :06:18:53 से 08:46:12 तक 26, मार्च को
अवधि : 02 घंटे 27 मिनट
होलिका दहन (28 मार्च, रविवार)
सनातन धर्म में होली का त्योहार प्रमुख त्योहारों मे से एक माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन से होलाष्टक से जमा की गई लकड़ियों और उपलों को एकत्रित करके उसकी पूजा की जाती है और शुभ समय पर होलिका दहन किया जाता है। यह पर्व सत्य और अच्छाई का पर्व है। होली की कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक राजा की बहन होलिका आग में जल गई थी और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद उस आग से बच गए थे। इस उपलक्ष्य में होलिका दहन किया जाता है।
होलिका दहन का मुहूर्त- 28 मार्च को 18:37 से 20:56 बजे तक
अवधि- 2 घंटे 20 मिनट
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