Atal Tunnel Rohtang inauguration: मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ने वाली अटल सुंरग दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल है। यह 9.02 किलोमीटर लंबी है और इस खासतौर पर पीर पंजाल रेंज की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 'अटल सुरंग' देश को समर्पित करेंगे। हिमालय की दुर्गम वादियों में पहाड़ काटकर बनाई गई यह सुरंग समुद्रतल से 3,060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस सुरंग के खुल जाने से हिमाचल प्रदेश के कई ऐसे इलाके जो सर्दियों में बर्फबारी के चलते बाकी देश से कट जाते थे, वे पूरे साल संपर्क में रहेंगे। मनाली और लेह की दूरी भी इससे खासी कम हो जाएगी। अभी रोहतांग पास के जरिए मनाली से लेह जाने में 474 किलोमीटर का सफर तय करना होता है। अटल टनल से यह दूरी घटकर 428 किलोमीटर रह जाएगी। टनल के भीतर कटिंग एज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। आइए जानते हैं कि दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल 'अटल टनल' में और क्या खास है।
अटल सुरंग को बनने में लगे हैं 10 साल
घोड़े की नाल जैसे आकार वाली यह सुरंग सिंगल ट्यूब डबल लेन वाली है। यह 10.5 मीटर चौड़ी है और मेन टनल के भीतर ही 3.6 x 2.25 मीटर की फायरप्रूफ इमर्जेंसी इग्रेस टनल बनाई गई है। 10,000 फीट की ऊंचाई पर इस टनल को बनाने में 10 साल लगे। इसे रोज 3,000 कारों और 1,500 ट्रकों का ट्रैफिक झेलने के लिहाज से बनाया गया है।
कई घंटों का सफर अब मिनटों में
मनाली-लेह हाइवे पर रोहतांग, बारालचा, लुंगालाचा ला और टालंग ला जैसे पास हैं और भारी बर्फबारी के चलते सर्दियों में यहां पहुंचना नामुमकिन हो जाता है। पहले मनाली से सिस्सू तक पहुंचने में 5 से 6 घंटे लग जाते थे, अब यह दूरी सिर्फ एक घंटे में पूरी की जा सकती है। यह टनल बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने बनाई है।
हर 150 मीटर पर मिलेगा टेलीफोन कनेक्शन
अटल टनल में पहले और आखिरी 400 मीटर के लिए स्पीड लिमिट 40 किलोमीटर प्रतिघंटा तय की गई है। बाकी दूरी में गाड़ी 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से चलाई जा सकती है। इस टनल के दोनों सिरों पर एंट्री बैरियर्स लगे होंगे। हर 150 मीटर पर इमर्जेंसी कम्युनिकेशन के लिए टेलीफोन कनेक्शंस हैं।
एक से एक तकनीकी खूबियों से लैस
अटल टनल में हर 60 मीटर तक फायर हाइड्रेंट मैकेनिज्म है ताकि आग लगने की सूरत में उसपर जल्दी काबू पाया जा सके। हर 250 मीटर तक सीसीटीवी कैमरों से लैस ऑटो इन्सिडेंट डिटेक्शन सिस्टम है। हर एक किलोमीटर पर हवा की मॉनिटरिंग की व्यवस्था है। हर 25 मीटर पर आपको एग्जिट और इवैकुएशन के साइन मिलेंगे। पूरी टनल के लिए एक ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम तैयार किया गया है।
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