ढाका बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमन ने उन खबरों को खारिज किया है जिनमें दावा किया गया है कि बांग्लादेश और भारत के संबंधों में दूरी आने लगी है। दरअसल, कुछ दिन पहले एक प्रमुख बांग्लादेशी अखबार ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री की उच्चायुक्त रीवा गांगुली दास को चार महीने से मिलने के लिए समय नहीं दे रही हैं। इस पर मोमन ने कहा है कि बांग्लादेश सबका दोस्त है और भारत के साथ उसके ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। गलत-मनगढ़ंत जानकारी मोमन ने सफाई दी है कि हसीना किसी भी विदेश राजदूत से नहीं मिली हैं जो अपने देश वापस जा चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि पीएम कोरोना वायरस की महामारी के चलते किसी से भी नहीं मिली हैं। इस वक्त वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कैबिनेट की मीटिंग कर रही हैं। मोमन ने कहा है कि इस बारे में जो जानकारी सामने आ रही है वह पूरी तरह गलत और मनगढ़ंत है। 'किसी के फोन से फर्क नहीं पड़ता' मोमन ने इस दावे का भी खंडन किया है कि हसीना का भारत की उच्चायुक्त को टालना पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकी का असर है। बता दें कि कुछ समय पहले इमरान और हसीना ने फोन पर बातचीत की थी। मोमन ने कहा है कि इसका भारत और बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। मोमन ने कहा है, 'हम शांतिप्रिय देश हैं और हम हर किसी के दोस्त हैं, किसी के दुश्मन नहीं। भारत के साथ इतिहास में बांग्लादेश के घनिष्ठ संबंध रहे हैं। किसी का फोन आने से या किसी के कुछ करने से दोनों के संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा।' 'इसलिए लद्दाख पर चुप' दूसरी ओर, बांग्लादेश ने भारत में लद्दाख में पिछले हफ्तों में बने रहे तनाव पर भी कोई बयान नहीं दिया। इसे लेकर भी मोमन ने उन दावों को खारिज किया कि चीन से नजदीकी के चलते बांग्लादेश ने चुप्पी साधी थी। मोमन ने कहा है कि भारत सरकार ने औपचारिक तौर पर शहीदों के बारे में जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने बांग्लादेश से समर्थन नहीं मांगा, इसलिए वह चुप रहा। उन्होंने यह भी कहा है कि हालात की जरूरत है कि शांति और स्थिरता कायम की जाए।
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