नई दिल्ली राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार (questions over rafale deal) को पिछले आम चुनाव में जोर-शोर से उठाकर बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश करने वाले राहुल गांधी ने 5 फाइटर जेट्स के भारत आने पर एयर फोर्स को बधाई दी है। हालांकि, उन्होंने इसके साथ ही अपने उन्हीं पुराने सवालों को दागा है, जिसे वह 2016 से ही जब-तब उठाते रहे हैं। उन्होंने राफेल लड़ाकू विमानों (cost of rafale fighter jets) की कीमत, 126 के बजाय 36 लड़ाकू विमानों को खरीदे जाने और अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनाए जाने को लेकर सवाल किया है। राफेल को लेकर राहुल गांधी के 3 सवाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी () ने ट्वीट किया, 'राफेल के लिए वायुसेना को बधाई। इस बीच, सरकार क्या इसका जवाब दे सकती है- 1) प्रति विमान 526 करोड़ रुपये के बजाय 1670 करोड़ रुपये की कीमत क्यों पड़ी? 2) कुल 126 विमानों के बजाय 36 विमान क्यों खरीदे गए? 3) HAL (हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड) के बजाय दिवालिया हो चुके अनिल (अंबानी) को 30 हजार करोड़ रुपये का ठेका क्यों दिया गया?' राहुल ने लोकसभा चुनाव में जोर-शोर से उठाया था राफेल का मुद्दा राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा लेकिन वहां भी मोदी सरकार को क्लीन चिट मिली। उसके बाद भी राहुल ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्हें कहीं न कहीं उम्मीद थी कि जिस तरह बोफोर्स सौदे में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था, उसी तरह राफेल डील के मामले में होगा और नरेंद्र मोदी सरकार की विदाई हो जाएगी। लेकिन राहुल की लाख कोशिशों के बाद भी राफेल बोफोर्स नहीं बन सका। थरूर ने भी दागे सवाल कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी राफेल की कीमतों को लेकर सवाल किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'अब जब राफेल एयर फोर्स में शामिल हो चुके हैं तो कुछ बातें याद रखनी चाहिए: 1- यूपीए ने राफेल का चुनाव किया और 126 विमानों के लिए पहली डील की। 2- मोदी सरकार ने 126 विमानों को घटाकर 36 किया, शुरू में जिस लड़ाकू क्षमता की योजना बनाई गई थी उसे कम किया और घरेलू उत्पादन को रद्द किया। 3- ये इन 36 लड़ाकू विमानों की कीमत को लेकर गंभीर सवाल हैं।' कांग्रेस ने कीमत को लेकर फिर मोदी सरकार को घेरा राहुल गांधी की तरह ही उनकी पार्टी ने भी राफेल विमानों के भारत आने पर डील में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे को एक बार पिर उठाया है। कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से राफेल की कीमत और उनकी संख्या को लेकर सवाल उठाने वाले वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया गया, 'राफेल आगमन पर वायुसेना को बधाई देते हुए आप भाजपा सरकार की गड़बड़ियों पर सवाल कर रहे हो, तो समझना अभी आपमें देशभक्ति जिंदा है। जय हिंद।' मनमोहन सरकार ने शुरू की थी पहल लेकिन नहीं हो पाई थी डील भारतीय वायुसेना की जरूरतों के मद्देनजर राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की पहल सबसे पहले कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार ने ही की थी। साल 2007 में एयरफोर्स ने सरकार के पास मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) खरीदने का प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने 126 लड़ाकू विमानों को खरीदने का टेंडर जारी किया। टेंडर में सबसे कम कीमत पर राफेल ने बोली लगाई थी। मनमोहन सिंह सरकार लड़ाकू विमान खरीदना चाह रही थी लेकिन उसके लिए चल रही बातचीत कभी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। यूपीए के दौरान 18 राफेल विमानों को फ्रांस से खरीदा जाना था जबकि बाकी 108 विमानों का भारत में ही निर्माण के लिए बातचीत चल रही थी। 2014 के आम चुनाव में यूपीए सरकार सत्ता से बाहर हो गई। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और 23 सितंबर 2016 को फ्रांस की सरकार के साथ 59 हजार करोड़ रुपये में हथियारों से सुसज्जित 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील फाइनल हुई।
from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi https://ift.tt/3hT44P7