नई दिल्लीकोरोना वायरस के चलते लगे में के लॉकअप भी सूने हो गए हैं, जहां आम दिनों की तुलना में सिर्फ 20 फीसदी गिरफ्तारियां हुई हैं। इसका कारण ये भी है कि पुलिस गिरफ्तारियां करने से बच रही है। कोरोना के कारण जेल से भी कैदियों को परोल पर छोड़ा जा रहा है, ऐसे में गिरफ्तार करके फिर से भीड़ बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। ये सिर्फ उन मामलों की गिरफ्तारियां हैं, जिनमें क्राइम होने से पहले पुलिस एहतियातन गिरफ्तारी करती है। इसमें पड़ोसियों के आपसी झगड़े, मामूली नोकझोक जैसी वारदात शामिल होती है और पुलिस सीआरपीसी के तहत कार्यवाही करती है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिन जिलों में हज़ारों की संख्या में पुलिस एहतियातन गिरफ्तारी करती थी, वहां अब सिर्फ कुछ सौ लोग ही गिरफ्तार किए जा रहे हैं। इस साल मार्च तक सबसे ज्यादा गिरफ़्तारी साउथ दिल्ली में हुई थी। पुलिस ने 15 मार्च तक ढाई महीने में करीब दो हज़ार लोगों को एहतियातन गिरफ्तार किया था, लेकिन लॉकडाउन के ढाई महीनों में इसी जिले की गिरफ्तारी 450 से भी कम हो गई है। गिरफ्तारी के बजाय समझाने-बुझाने पर ज्यादा जोर उन्होंने बताया कि पूरी दिल्ली में 1 जनवरी से 15 मार्च तक करीब तीन हज़ार लोग गिरफ्तार हुए थे, जबकि 16 मार्च से 27 मई तक सिर्फ 600 के आस पास लोग गिरफ्तार हुए हैं। इसका कारण ये भी है कि सीनियर अफसरों ने अब गिरफ्तारी के बजाय लोगों को समझा-बुझाकर वापस भेजने के लिए कहा है। लॉकडाउन के पहले 248, लेकिन बाद में सिर्फ 16 लोग गिरफ्तार अधिकारियों ने बताया कि नॉर्थ जिले में लॉकडाउन से पहले ढाई महीने में 21 लोगों को पकड़ा गया, जबकि लॉकडाउन के बाद सिर्फ 2 लोगों को पकड़ा गया है। ऐसे ही सेंट्रल दिल्ली के 41 लोगों की गिरफ्तारी से घटकर आंकड़ा 8 लोगों तक आ गया है। वेस्ट जिले में तो पुलिस ने लॉकडाउन के पहले 248 लोगों को एहतियातन गिरफ्तार किया था, लेकिन कोरोना के बाद सिर्फ 16 लोग गिरफ्तार किए गए। बता दें कि तिहाड़ से ढाई हज़ार के करीब कैदी जमानत या दूसरी शर्तों पर छोड़े गए थे, जबकि जिन लोगों को पुलिस गिरफ्तार करती है, उनको भी वापस तिहाड़ ही भेजने से भीड़ वैसी की वैसी हो जाती।
from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi https://ift.tt/2zWhCsv