जयललिता की बेशुमार दौलत का वारिस कौन?

चेन्नै मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे के मामले में बड़ा आदेश दिया। हाई कोर्ट ने उनकी भतीजी दीपा जयकुमार और भतीजे दीपक जयकुमार को उनके कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया। इस आदेश के साथ ही अब जयललिता की भतीजी और भतीजा उनकी संपत्ति और क्रेडिट के हकदार होंगे। आदेश में हाई कोर्ट ने कहा, 'हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की सेक्शन II की प्रविष्टि IV के तहत, दीपक और दीपा दिवंगत मंख्यमंत्री के दिवंगत भाई जयकुमार की संतान होने की वजह से उनके दूसरी श्रेणी के वारिस हैं।' वहीं हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि पोएस गार्डन स्थित ‘वेदा नीलयम’ को राज्य के मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास भी बनाया जा सकता है और परिसर के कुछ हिस्से को जरूरत हो तो स्मारक बनाया जा सकता है। किसने, क्या किया दावा?जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी जे दीपा और जे दीपक ने कहा कि उनकी आंटी की संपत्ति का कुल मूल्य 188 करोड़ रुपये था। वहीं एआईएडीएमके के दो पदाधिकारी जो कि प्रशासक बनना चाहते थे, उन्होंने अदालत को बताया कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री की संपत्ति 913.13 करोड़ रुपये कीमत की थी। बहस के दौरान उन्होंने कहा कि संपत्ति का मूल्य 1,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा। यहां से शुरू हुई उत्तराधिकारी की लड़ाई 5 दिसंबर, 2016 को जयललिता की मौत ने में एक राजनीतिक उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू कर दी थी क्योंकि उन्होंने किसी को औपचारिक रूप से अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था। जयललिता अविवाहित थीं और उनकी कोई संतान नहीं थी। कुछ हफ्ते बाद, अन्नाद्रमुक महासभा ने अचानक सर्वसम्मति से जयललिता की करीबी सहयोगी शशिकला को पार्टी का महासचिव घोषित किया। शशिकला को बाद में 5 फरवरी, 2017 को विधायक दल के नेता के रूप में चुना गया था। उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से ओ पन्नीरसेल्वम को सिटिंग मुख्यमंत्री बनाया। पढ़ें: ड्रामा बढ़ता गया बाद में ओ पन्नीरसेल्वम ने अचानक पद से इस्तीफा दिया और उन्होंने शशिकला पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया था। शशिकला ने बाद में उन्हें पार्टी कोषाध्यक्ष के पद से बर्खास्त करने का आदेश दिया। 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामलों में दोषी ठहराया - जयललिता को पहले मामले में दोषी ठहराया गया था। दो दिन बाद, के पलानीस्वामी को तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। छह महीने बाद, पन्नीरसेल्वम सरकार में उप मुख्यमंत्री के रूप में शामिल हो गए। खत्म नहीं हुई चुनौतियां AIADMK को अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने इस बीच अपनी पार्टी शुरू की। उसने खुद को दिवंगत मुख्यमंत्री का असली राजनीतिक वारिस घोषित किया। जयललिता के समय से उनके निवास को AIADMK में सत्ता के केंद्र के रूप में देखा जाता था। प्रतीकात्मकता को बनाए रखने के लिए उत्सुक, टीएन सरकार ने इसे सार्वजनिक स्मारक में बदलने के लिए घर पर कब्जा करने का फैसला किया। लेकिन दीपा और दीपक ने आपत्ति की और अदालत चले गए। पिछले साल जुलाई में दीपा ने कहा कि वह राजनीति छोड़ रही हैं। अब कोर्ट ने दीपा और दीपक को कानूनी वारिस घोषित कर दिया है। कोर्ट ने यह दिया आदेश न्यायमूर्ति एन किरूबाकरण और न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्दूस की एक पीठ ने यह स्पष्ट किया कि दीपक और दीपा अपने विवेक के अनुसार कुछ संपत्तियों का आवंटन करेंगे और आदेश की प्रति मिलने की तारीख से आठ सप्ताह के भीतर सामाजिक सेवा करने के उद्देश्य से अपनी दिवंगत बुआ के नाम पर एक पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट बनाएंगे। अदालत ने फिर मामले की सुनवाई आठ सप्ताह के लिए स्थगति कर दी ताकि ट्रस्ट बनाने का काम पूरा किया जा सके। पीठ ने अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता के. पुगलेंथी द्वारा दायर की गई एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने दिवंगत मुख्यमंत्री की संपत्तियों के प्रशासक के रूप में खुद को नियुक्त करने की मांग की थी।


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