गंगा दशहरा 01 जून 2020 को, जानें कथा और इसका महत्व

सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक गंगा दशहरा भी है। ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इस साल 1 जून 2020 को गंगा दशहरा मनाया जाएगा। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस दिन गंगा नदी में स्नान-ध्यान करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते शायद आप किसी नदी में स्नान आदि करने नहीं जा सकें। ऐसे में इस बार 1 जून को स्नान के दौरान एक मंत्र का जाप अवश्य करें, इस मंत्र के संबंध में मान्यता है कि ऐसा करने से तीर्थों में स्नान का पुण्य मिलता है।

मंत्र : गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

MUST READ : पंच केदार का रहस्य- देश के इस मंदिर में होती है केवल भगवान भोलेनाथ के मुख की पूजा

 

https://www.patrika.com/dharma-karma/only-lord-shiv-mouth-is-worshiped-in-this-temple-6147568/

जानें किस समय नहाना कौन सा स्नान-
- जो स्नान ब्रह्ममुहूर्त में भगवान का चिंतन करते हुए किया जाता है, उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं।
- सूर्योदय से पूर्व देवनदियों में या उनका स्मरण करते हुए जो स्नान किया जाता है, उसे देव स्नान कहते हैं।
- सुबह-सुबह जब आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों तब जो स्नान किया जाता है, उसे ऋषि स्नान कहते हैं।
- जो सामान्य स्नान सूर्योदय के पूर्व किया जाता है वह मानव स्नान कहलाता है।
- जो स्नान सूर्योदय के बाद चाय-नाश्ता करने के बाद 8-9 बजे तक या और बाद में किया जाता है, वह दानव स्नान कहलाता है।

शास्त्रों के अनुसार हमें ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान ही करना चाहिए। यही सर्वश्रेष्ठ स्नान हैं। रात के समय या शाम के समय नहाना नहीं चाहिए। यदि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का दिन हो तो उस दिन रात के समय स्नान किया जा सकता है।

इसके अलावा गंगा दशमी के दिन दान का भी अति विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि गंगा नाम के स्मरण मात्र से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं। यह पर्व के अगले दिन निर्जला एकादशी मनाई जाती है, लेकिन तिथि गलने की स्थिति में कई बार गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी एक ही दिन भी पड़ जाती है।

MUST READ : गंगा दशहरा 2020- ऐसे द्वार पत्र जो घरों पर नहीं गिरने देते बिजली, जानिये कब और कैसे लगाते हैं इन्हें

https://www.patrika.com/religion-and-spirituality/door-letters-that-do-not-let-electricity-fall-on-homes-6122451/

2020 में गंगा अवतरण पूजा समय...

गंगा दशहरा सोमवार, जून 1, 2020 को
दशमी तिथि प्रारम्भ – मई 31, 2020 को शाम 5:36 बजे
दशमी तिथि समाप्त – जून 01, 2020 को दोपहर 2:57 बजे

गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2020) पूजा विधि
इस दिन गंगा नदी में स्नान करना श्रेयस्कर होता है, किन्तु कोरोना वायरस महामारी संकट की वजह से इस साल श्रद्धालु गंगा नदी में आस्था की डुबकी नहीं लगा पाएंगे। ऐसे में गंगा दशहरा के दिन गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद ॐ श्री गंगे नमः का उच्चारण करते हुए मां गंगे का ध्यान कर अर्घ्य दें।

MUST READ : भगवान नारायण के प्रमुख धाम, इन मंदिरों में भी विराजमान हैं भगवान विष्णु

https://www.patrika.com/pilgrimage-trips/lord-narayana-s-is-also-enshrined-in-these-temples-6141768/

Ganga Dussehra 2020: गंगा दशहरा की कथा...
माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन ही पतित पावनी गंगा का स्वर्ग से भूलोक पर अवतरण हुआ था। गंगा को भागीरथ के पूर्वजों की शापित आत्माओं को शुद्ध करने के लिए पृथ्वी पर उतारा गया था।

पुराणों के अनुसार गंगा विष्णु के अंगूठे से निकली हैं, जिनका पृथ्वी पर अवतरण भगीरथ के प्रयास से कपिल मुनि के शाप द्वारा भस्मीकृत हुए राजा सगर के 60,000 पुत्रों की अस्थियों का उद्धार करने के लिए हुआ था, तब उनके उद्धार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर माता गंगा को प्रसन्न किया और धरती पर लेकर आए।

एक अन्य पौराणिक एक कथा के अनुसार गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमंडल से हुआ और वह स्वर्ग की पवित्रता को पृथ्वी पर ले आईं। लेकिन मां गंगे की गति इतनी अधिक थी, कि उसे पृथ्वी की ऊपरी सतह पर रोक पाना नामुमकिन था। तब भागीरथ ने मां गंगे की इच्छा पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा मां को अपनी जटाओं में समा लिया था। इसके बाद भगवान शंकर ने अपनी जटाओं से मां गंगे को धीमी गति के साथ पृथ्वी पर उतारा।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2XLXrFO
أحدث أقدم