<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;"><strong>Rupee for Crude Oil:</strong> कच्चे तेल के बदले रुपये देने की योजना पर पानी फिर गया है. सरकार ने कच्चे तेल के आयात में डॉलर के बदले रुपये में भुगतान करने की जोर-शोर से कोशिश की थी. मगर, किसी भी देश ने भारतीय मुद्रा के बदले तेल देने पर हामी नहीं भरी. कच्चे तेल के निर्यातक देश विभिन्न कारणों के चलते रुपये नहीं लेना चाहते हैं. केंद्र सरकार ने यह बात स्वीकारी है. हालांकि, चालू वित्त वर्ष में रुपये में भुगतान करने में थोड़ी सफलता मिली है. यूएई और रूस को कुछ भुगतान रुपये में किया गया है. </span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>शून्य पर रह गया आंकड़ा</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">पेट्रोलियम मंत्रालय ने संसद की स्थायी समिति को बताया कि कच्चे तेल के निर्यातक देश रुपये के लेनदेन और उसमें लगने वाली लागत के चलते भारतीय मुद्रा नहीं स्वीकारना चाहते. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सरकारी तेल कंपनियों की ओर से कच्चे तेल के आयात का कोई भी भुगतान रुपये में नहीं तय किया गया. यह आंकड़ा शून्य पर ही रहा. </span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>यूएई-रूस से मिल सकती है अच्छी खबर </strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">सूत्रों के मुताबिक, भारत ने जुलाई, 2023 में यूएई के साथ रुपये में भुगतान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) से 10 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद का भुगतान भारतीय रुपये में किया है. इसके अलावा रूस से आयात किए गए कच्चे तेल के कुछ हिस्से का भी भुगतान भी रुपये में किया गया है. यह रकम और बढ़ सकती है. </span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>डॉलर ही बना हुआ है राजा </strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">पूरी दुनिया में अमरीकी डॉलर का इस्तेमाल कच्चे तेल के व्यापार में होता है. भारत को भी कच्चे तेल के बदले डॉलर में ही भुगतान करना पड़ता है. भारत को लगभग 85 फीसदी कच्चा तेल आयात ही करना पड़ता है. इसलिए यह बिल विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी पड़ता है. यही वजह है कि सरकार ऐसे सौदों में रुपये के इस्तेमाल की कोशिश में जुटी हुई थी.</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>आरबीआई ने भी किए थे प्रयास </strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जुलाई, 2022 में आयातकों और निर्यातकों को रुपये में भुगतान लेने-देने की मंजूरी दे दी. यह रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का ही हिस्सा था. तेल के अलावा अन्य कारोबार में रुपये का इस्तेमाल बढ़ाने में सफलता मिली है. </span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>रुपये को एक्सचेंज करने में हो रही मुश्किल </strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">मंत्रालय ने समिति को बताया कि यूएई के एडीएनओसी सहित तेल सप्लाई करने वाले चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि रुपये को दूसरी मुद्रा में परिवर्तित करने में उन्हें दिक्कतें आ रही हैं. इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये के रेट में उतार-चढ़ाव के कारण भी उन्हें लेनदेन लागत बढ़ने का डर है.</span></p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें </strong></p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://ift.tt/VkvOEAR This Week: इस हफ्ते आ रहे 6 आईपीओ, 10 कंपनियों की होगी लिस्टिंग, साल खत्म होने से पहले कमाई का एक और मौका</strong></a></p>
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