<p>मार्क डगलस ने अपनी लोकप्रिय पुस्तक, 'ट्रेडिंग इन द जोन' में एक सरल लेकिन गंभीर कथन के माध्यम से ट्रेडिंग की साइकोलॉजी को दर्शाया है: "ट्रेडिंग (या किसी अन्य प्रयास) में लगातार सफलता की कुंजी संभावनाओं के बारे में विचार करते रहने में है." यह सोच ट्रेडिंग की जटिलताओं को समझने में मुख्य आधार का काम करती है. इसका अर्थ यह है कि ट्रेडिंग में सफलता परिणामों का पूर्वानुमान लगाने या इनके सही होने के बारे में कम और संभावनाओं को प्रबंधित करने के बारे में अधिक है. ट्रेडिंग साइकोलॉजी किसी व्यक्ति के आचरण और व्यवहार के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है. इसका असर उनके द्वारा लिये जाने वाले निर्णय पर पड़ता है और इसके चलते सोच बायस्ड हो सकती है.</p> <p>इस विचारपूर्ण पंक्ति का अनुसरण करते हुए, इस ब्लॉग में ट्रेडिंग साइकोलॉजी के पांच प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है. इसमें अपस्टॉक्स के पुनीत माहेश्वरी के द्वारा ट्रेडर्स को ट्रेडिंग की दुनिया से जुड़ी बारीकियों और संभावनाओं के अनुरूप सोच विकसित करने का तरीका बताया गया है.</p> <h3>डर और लालच</h3> <p>ट्रेडर के मन में मुख्य रूप से दो तरह की भावनाएं होती हैं: डर और लालच. मार्केट नीचे जाने की स्थिति में डर के कारण आप घबराहट में अपनी होल्डिंग्स बेच सकते हैं और संभावित रूप से बाद की रैलियों से चूक सकते हैं. दूसरी ओर, लालच आपको अधिक लाभ की तलाश में अतिरिक्त जोखिम लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. समय के साथ, सफल ट्रेडर इन भावनाओं को पहचानना सीख जाते हैं. वे इस समझ का उपयोग करते हैं और अधिक समझदार, संतुलित निर्णय लेने के लिए डर और लालच दोनों के बीच संतुलन रखते हुए निर्णय लेते हैं.</p> <h3>भेड़ चाल</h3> <p>मनुष्य स्वभावतः सामाजिक प्राणी है और ट्रेडिंग से जुड़ा उसका व्यवहार भी इस गुण से अछूता नहीं है. अनेक ट्रेडर्स भेड़ चाल में चलते हैं. जिधर भीड़ जा रही है, वो उसी के पीछे-पीछे चलने लगते हैं. इससे अक्सर नुकसान होता है या मार्केट बब्बल करने लगता है. भीड़ के पीछे चलने से, ट्रेडर अपनी खुद की एनालिसिस को नजरअंदाज कर देता है. इसके परिणामस्वरूप खराब ट्रेडिंग निर्णय ले लिए जाते हैं और कैपिटल का लॉस होता है. किसी नए क्षेत्र या स्टॉक के बारे में हर कोई उत्साहित होता है और ट्रेडर सहज ही उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं. मार्केट ट्रेंड की जानकारी रखना अच्छी बात है, लेकिन आपको अपने पैसे को जोखिम में डालने से पहले हमेशा अपना एनालिसिस कर लेना चाहिए. पॉपुलर ओपिनियन के आधार पर आप कितनी बार अच्छे रिटर्न को लेकर आश्वस्त हो सकते हैं?</p> <h3>उम्मीद</h3> <p>अगर ट्रेडिंग में उम्मीद को नियंत्रित और संतुलित न रखा जाए तो इसका दोहरा नुकसान हो सकता है. यह अक्सर ट्रेडर्स को स्ट्रेटजी या क्यूरेटेड सिस्टम के बजाय आंतरिक भावना के आधार पर निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है. यह दृष्टिकोण सोच-समझकर रिस्क लेने और गैम्बलिंग के बीच के फर्क को धुंधला कर देता है. लालच की भावना से पैदा हुई इस तरह की उम्मीद अक्सर ट्रेडर्स को अवास्तविक लाभ का पीछा करते हुए घाटे की ट्रेडिंग में फंसने या लाभ लेने के अवसरों को चूकने के लिए प्रेरित करती है. ट्रेडर्स को चाहिए कि वो अपनी उम्मीदों को रियलिस्टिक रखें और अनुशासित स्ट्रेटजी अपनाएं. आपका निर्णय खयाली पुलाव के बजाय तर्क पर आधारित होना चाहिए.</p> <h3>फियर ऑफ मिसिंग आउट (फोमो)</h3> <p>फोमो या फियर ऑफ मिसिंग आउट एक प्रकार का डर होता है, जिसमें व्यक्ति को अवसर हाथ से निकल जाने की चिंता बनी रहती है - निश्चित रूप से ट्रेडिंग में यह भावना बहुत जोरदार होती है. ट्रेडिंग करने की यह उत्सुकता आपको चल रहे ट्रेड के बीच में कूदने या जल्दबाजी में निर्णय लेने के लिए मजबूर कर सकती है, जिसके चलते आमतौर पर नुकसान होता है. ऐसी स्थितियों में ट्रेडर्स को हमेशा याद रखना चाहिए कि ट्रेडिंग करने का एक और अवसर हमेशा रहेगा. इसलिए, जल्दबाजी में ऐसा कोई भी ट्रेड करने से बचें, जिसकी आपने योजना नहीं बनाई है और जिसके लिए आपने तैयारी नहीं की है.</p> <h3>नुकसान से बचाव</h3> <p>मनुष्य में नुकसान से बचने की भावना बहुत ही गहरी होती है. यह भावना लाभ को महत्व देने की तुलना में नुकसान से अधिक डरने की हमारी प्रवृत्ति को उजागर करती है. ट्रेडिंग में यह डर अक्सर नुकसान को स्वीकार करने के बजाय रिबाउंड की उम्मीद में खोने वाली स्थिति को बनाए रखने की ओर ले जाता है. इसीलिए ऐसी सोच के साथ ट्रेडिंग करना महत्वपूर्ण है, जो इमोशन के बजाये प्रोबैबिलिटी पर केंद्रित हो. यह स्वीकार करना होगा कि सभी ट्रेड सफल नहीं होंगे और स्टॉप-लॉस सहित पूर्व-निर्धारित एक्जिट्स के साथ स्ट्रेटजीज को लागू करना आवश्यक है. यह दृष्टिकोण जोखिम प्रबंधन में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि जीत हार से अधिक प्रभावशाली है.</p> <p>निष्कर्ष में, सभी प्रकार के विश्लेषण महत्वपूर्ण हैं, वो चाहे मौलिक हो, तकनीकी हो या मात्रात्मक, लेकिन मनोवैज्ञानिक घटक का प्रबंधन ट्रेडर्स को भावनात्मक बढ़त दे सकता है. यह ट्रेडर्स को अधिक जानकारीपूर्ण और तार्किक निर्णय लेने, लालच और डर जैसी भावनाओं को प्रबंधित करने, भेड़ चाल और नुकसान से बचने के नुकसान से बचने में सक्षम बनाता है. साथ ही, प्रभावी ढंग से खयाली पुलाव से बचने और नुकसान से सीखने में सक्षम बनाता है. यह व्यापक दृष्टिकोण, बाजार ज्ञान और मनोवैज्ञानिक कौशल का मिश्रण, अक्सर सफल ट्रेडर्स और बाकी लोगों के बीच का अंतर होता है. यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि कभी-कभी सबसे बड़ी चुनौती बाजार के रुझान को समझना नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक पूर्वाग्रहों को प्रबंधित करना है.</p> <p><strong>(लेखक अपस्टॉक्स के डाइरेक्टर हैं. आलेख में व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं और उनके साथ ABPLive.com की कोई सहमति नहीं है. शेयर बाजार में निवश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से जरूर परामर्श लें.)</strong></p> <p><strong>खेलें इलेक्शन का फैंटेसी गेम, जीतें 10,000 तक के गैजेट्स 🏆<br />*T&C Apply<br />https://bit.ly/ekbabplbanhin</strong></p> <p><strong>ये भी पढ़ें: <a title="क्या है शेयरों का ग्रे मार्केट? शेयर बाजार पर अनलिस्टेड मार्केट से क्या पड़ता है फर्क?" href="https://ift.tt/NHBkpSa" target="_blank" rel="noopener">क्या है शेयरों का ग्रे मार्केट? शेयर बाजार पर अनलिस्टेड मार्केट से क्या पड़ता है फर्क?</a></strong></p>
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