इंदौर. खाद्यान्न सुरक्षा-पोषण, भूखमरी व कृषि विकास के मुद्दों पर जी-20 समूह के सदस्य देश, आमंत्रित देश व संगठनों की बैठक में नियम आधारित ओपन ट्रेड पॉलिसी फॉर फूड और परंपरागत बीज संरक्षण उपाय के प्रस्ताव तैयार किए हैं। इससे जलवायु परिवर्तन, खाद्यान्न असुरक्षा की चुनौती से निपटने में सहायता मिलेगी। तीन दिन की चर्चा के बाद प्रारंभिक इंदौर रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इस पर चंडीगढ़ व वाराणसी की बैठकों में विचार के बाद मंत्री समूह के समक्ष रखा जाएगा।
इस साल भारत जी-20 समूह देशों की अध्यक्षता कर रहा है। प्रतिनिधि समूह की बैठक में भारत की ओर से प्रस्तावित इश्यू नोट पर चर्चा हुई। बैठक में 20 सदस्य देश, 10 आमंत्रित देश व 6 संगठनों ने हिस्सा लिया। भारत की ओर से मिलेट्स इनिशिएटिव पर काॅन्सेप्ट नोट, डिजिटलाइजेशन के प्रयासों को प्रस्तुत किया गया। तीन दिनी बैठक में 2030 तक दुनिया में जीरो हंगर - भूखमरी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कृषि को बेहतर बनाकर खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने और खाद्यान्न सुरक्षा व पोषण के लिए रोडमैप तैयार किया गया। बैठक में भारत ने मिलेट्स के उत्पादन और इसकी पोषकता के बारे में जानकारी देने के साथ जलवायु, स्मार्ट व डिजिटल कृषि, खाद्यान्न सुरक्षा व पोषण के मुद्दों पर प्रस्तुतिकरण दिया। समूह देशों ने भी कृषि में किए जा रहे नवाचारों पर विचार रखे।
अनाज की उपलब्धता पर विचार
सदस्यों के बीच उत्पादन बढ़ाने के साथ कृषि उत्पादों की बिक्री और कम उत्पादन क्षमता वाले देशों में अनाज की उपलब्धता पर भी विचार किया गया। इस दौरान ओपन ट्रेड पॉलिसी फाॅर फूड का काॅन्सेप्ट रखा गया। इसे प्रस्तावों में शामिल करने पर सहमति बनी है। इससे कृषि को ग्लोबल बाजार मिलेगा। टेक्नोलाॅजी ट्रांसफर और जीएम (जेनेटिकली मोडिफाई) फूड जैसे मुद्दे भी चर्चा में आए, लेकिन इन पर विचार भिन्नता रही।
सदस्यों ने सुझाव दिया कि देश की जलवायु, परििस्थतियों के आधार पर बीजों को संरक्षित करते हुए स्थानीय फसलों का उत्पादन बढ़ाएं। बैठक में भारत की ओर से अतिरिक्त सचिव कृषि अभिलाष लिखी, संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर व सुमिता सिरोही ने विचार रखे। इस दौरान सदस्यों ने इंदौर के हेरिटेज और मांडू के ऐतिहासिक किले का भ्रमण किया। शहर के आसपास परंपरागत खेती का अवलोकन भी किया।
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इन चार मुद्दों पर रोडमैप तैयार
- खाद्य सुरक्षा व पोषण।
- जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण के साथ सतत कृषि।
- कृषि में बदलाव के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग।
- समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखला और खाद्य प्रणाली।
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