आज का दिन यानि रविवार को नवग्रहों के राजा सूर्यदेव का दिवस माना जाता है। वहीं कुंडली में इन सभी नौ ग्रहों का अपना अपना प्रभाव होता है। ऐसे में सूर्य देव को ज्योतिष में आत्मा व पिता का कारक माना गया है। वहीं इसके प्रभाव से जातक के सम्मान, अपमान, प्रगति आदि का जुड़ाव माना गया है।
ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ग्रहों की स्थिति जातक के जीवन को अत्यंत प्रभावित करती है। ऐसे में ग्रहों के राजा सूर्य की स्थिति भी जीवन में सफलता से लेकर जीवन में होने वाले अपमान तक का कारक बनती हैं। ऐसे में जहां हर जातक ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए तमाम तरह की कोशिशें करता है। वहीं सूर्य की स्थिति कमजोर या बुरी होने पर भी इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए कई तरह के कार्य ज्योतिष में बताए गए हैं।
पंडित शर्मा के अनुसार ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में उपायों का वर्णन किया गिया है। जिसमें ग्रहों से संबंधित मंत्र और रत्नों का वर्णन किया गया है। ध्यान रहे कि माना जाता है कि मंत्र का जाप करने से ग्रहों की नकारात्मकता को दूर किया जाता है। वहीं रत्नों को भी धारण किया जाता है। लेकिन कुछ रत्न बहुत महंगे होते हैं। जिन्हें लेना हर किसी के बस में नहीं होता ऐसे में इनसे जुड़ी कुछ अन्य सस्ती चीजों का भी इस कार्य के लिए उपयोग किया जाता है। यहां तक की इसके लिए ज्योतिष में पेड़ों की जड़ तक का वर्णन किया गया है।
इन्हीं में से एक होती है बेल के पेड़ की जड़, जिसका संबंध सूर्य ग्रह से माना गया है। मतलब यदि आप माणिक्य रत्न धारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो आप बेल के पेड़ की जड़ को धारण कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं बेल की जड़ का महत्व और धारण करने की विधि…
बेल की जड़ के लाभ
रत्न शास्त्र अनुसार बेल की जड़ सूर्य के रत्न माणिक्य के समान शुभ फल प्रदान करती है। बेल की जड़ धारण करने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है। इस जड़ को धारण करने से ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार से भी मुक्ति मिल सकती है। वहीं नौकरी पेशा और राजनीति के लोग इस जड़ को धारण कर सकते हैं। उन्हें करियर में अच्छी सफलता मिल सकती है।
बेल की जड़: ये जातक धारण कर सकते हैं
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक मेष, सिंह और धनु लग्न के जातक बेल की जड़ धारण कर सकते हैं। साथ ही धन स्थान, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के विराजमान हैं, तो भी बेल की जड़ धारण कर सकते हैं। साथ ही अगर सूर्य देव नवमांश में उच्च के विराजमान हो तो भी बेल की जड़ पहन सकते हैं।
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बेल की जड़ धारण करने की विधि
रत्न शास्त्र अनुसार बेल की जड़ को कृतिका नक्षत्र में लानी चाहिए। साथ ही इसे रविवार को सुबह धारण करना चाहिए। आप इसे लाल कपड़े में बांधकर धारण कर सकते हैं। सबसे पहले गाय के दूध और गंगाजल से बेल के पेड़ की जड़ को शुद्ध कर लें। उसके बाद मंदिर के सामने बैठकर एक माला सूर्य देव के मंत्र 'ऊं सूर्याय नम:' का जाप करें और फिर इसे गले या हाथ में धारण कर लें।
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