
इंदौर। एक समय था जब अविभाजित मध्यप्रदेश में संगठन महामंत्री रहते हुए कृष्णमुरारी मोघे 320
विधानसभाओं और 40 लोकसभा के टिकट तय करते थे। इस नगर निगम चुनाव में मोघे के हाथ खाली हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि उन्होंने जिनकी सिफारिश की थी, एक भी व्यक्ति को टिकट नहीं मिला।
तीन दशक से पार्टी में वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन और कृष्णमुरारी मोघे की निगम चुनाव में टिकट वितरण के समय चलती थी लेकिन इस बार अच्छी स्थिति नहीं दिखी। अविभाजित मध्यप्रदेश की लोकसभा व विधानसभा में नेताओं का भविष्य तय करने वाले मोघे को एक भी टिकट नहीं दिया गया। उनके भरोसे दिलीप शर्मा, दानवीरसिंह छाबड़ा, संजय कटारिया और जेपी मूलचंदानी सहित कई नेता थे लेकिन किसी को मौका नहीं मिला। वार्ड 70 से टिकट लाने वाले भरत रघुवंशी भले ही उनके यहां हाजरी भरा रहे थे लेकिन टिकट भोपाल से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कराया।
महाजन के कहने पर ऐनवत पर राऊ के वार्ड 80 में प्रशांत बड़वे को टिकट दिया गया। इसके अलावा अजयसिंह नरुका, सुधीर देडग़े, विनिता धर्म, कमलेश नाचन सहित कई नेता महाजन के भरोसे थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। कुछ लोग वार्ड-57 में सुरेश टाकालकर के टिकट को ताई से जोड़कर देख रहे हैं लेकिन उन्हें विधायक आकाश विजयवर्गीय ने अपनी पसंद से दिया। उसके जरिए उन्होंने महाराष्ट्रीयन वोट बैंक को साधने का प्रयास किया। चौंकाने वाली बात ये है कि जितने भी नेता हैं, बड़वे को छोड़कर अधिकांश महाराष्ट्रीय गैर मोघे-महाजन गुट के हैं।
लालवानी के लाल भी रह गए
टिकट वितरण में देखा जाए तो सबसे ज्यादा नुकसान किसी का हुआ तो वह है सांसद शंकर लालवानी। वे अपने लालों का टिकट नहीं करा पाए। उनके खाते में संध्या यादव, कंचन गिदवानी और मुद्रा शास्त्री का टिकट आया लेकिन सारे समर्थक ठगा गए। सतीश शर्मा, बंटी गोयल, महेश जोशी, कमलपुरी गोस्वामी व विशाल गिदवानी को उम्मीद थी कि सांसद कोटे से उनका टिकट होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पुष्यमित्र-गौरव ने बनाई दूरी
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि 85 वार्डों में टिकट वितरण की व्यवस्था नगर भाजपा अध्यक्ष गौरव रणदिवे के इर्द-गिर्द थी। उन्होंने अपने किसी भी खास की सिफारिश नहीं की लेकिन संगठन के प्रति
समर्पित कार्यकर्ता का नाम पूरी ताकत से रखा। ऐसे में कई मजबूत कार्यकर्ताओं के टिकट हुए, जिसमें उनकी टीम के प्रणव मंडल, सविता अखंड, संदीप दुबे के परिवार सहित कई नाम शामिल हैं। इसके
अलावा महापौर के प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने भी कोई टिकट नहीं मांगा। यहां तक कि अपने सबसे खास भरत पारिख के लिए भी नहीं कहा। पूरी तरह से दूरी बनाकर भलाई बुराई में नहीं पड़े।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/ULPAsZ4