इंदौर। हमारे देश की धरती में यदि 100 समस्या है, तो उसके एक अरब समाधान भी हैं। हमारे शब्द जहां अंगारे, दीपक, आंधी और ठंडी बयार की तरह काम करते हैं। वही यह शब्द नए समाज की रचना करने और बुराई का खात्मा करने में सक्षम हैं। हम जब शब्दों के शिल्पी बनकर मन में करुणा को जगाएं तो वही आदर्श है और यहीं से आंदोलन शुरू होता है।
यह बात नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कही। वे रवींद्र नाट््य गृह में स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन शब्द शिल्पी पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह में वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार नरेश मेहता की स्मृति में 20 पत्रकारों को उनके द्वारा किताब लेखन के लिए शब्द शिल्पी अलंकरण से अलंकृत किया गया। पांच पत्रकारों को मरणोपरांत यह अलंकरण दिया गया। सत्यार्थी ने कहा कि जो लोग स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का सपना देखते हैं, उन्हें फैसले अच्छे भविष्य के लिए लेना चाहिए। मेरा नोबल पुरस्कार का बीज भी पत्रकारिता से पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि जो समाज सवालों की टॉर्च लेकर चलता है, वही आगे बढ़ता है। जो समाज सवालों से बचता है, वह प्रगति कभी नहीं करता है।
इस अवसर पर प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि आज के युग में कुछ पल में सारी जानकारी मोबाइल पर आ जाती है। ऐसे में पत्रकारिता के समक्ष गंभीर चुनौती है। जिस तरह से उज्जैन में ङ्क्षसहस्थ पर्व का आयोजन होता है, उसी तरह से इंदौर का यह पत्रकारिता महोत्सव पत्रकारों का ङ्क्षसहस्थ है। इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद व पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे ने कहा कि पत्रकारिता में परिश्रम और अध्ययन किया जाना चाहिए । जब हम किसी भी मुद्दे की जड़ तक जाएंगे और लगातार काम करेंगे तो उससे प्रतिष्ठा बनेगी।
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