नए वेरिएंट का स्टूडेंट्स पर असर, सामने आई ये असलियत

इंदौर. नई शिक्षा नीति के तहत मप्र के सभी विश्वविद्यालयों में नए-नए कोर्स लागू कर दिए गए हैं। ये कोर्स सभी संकायों के स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी भी हैं, लेकिन कोरोना के डर से अब भी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कॉलेज आने को तैयार नहीं है। कोविड-19 के नए वेरिएंट के चलते भी स्टूडेंट्स के कॉलेजों तक बढ़ते कदम एक बार फिर पीछे हट गए हैं।

मप्र सरकार के कोविड संबंधी नए निर्देशों के तहत स्कूल-कॉलेजों में 50 प्रतिशत क्षमता तक ही स्टूडेंट्स आ पाएंगे। ऐसे में पढ़ाई के लिए यह एक बड़ा ही मुश्किल भरा दौर है। एक ओर स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्लासेस से ज्यादा लाभ नहीं हो पा रहे हैं वहीं ऑफलाइन पढ़ाई के लिए वे और उनके पैरेंट्स तैयार नहीं।

इस वजह से नई शिक्षा नीति के तहत शुरू किए गए नए उपयोगी कोर्स से भी स्टूडेंट्स लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं। इस शैक्षणिक चुनौती का समाधान निकालना बेहद आवश्यक है। यूनिवर्सिटी ने नए कोर्स भले ही लॉन्च कर दिए हैं पर स्टूडेंट्स उनका ्लाभ कैसे हो यह सोचना भी जरूरी।

 

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इन डिपार्टमेंट्स ने लॉन्च किए - ये नए कोर्स
स्कूल ऑफ डेटा साइंस डिपार्टमेंट - डेटा एंड एनालिटिक्स और एमटेक डेटा साइंस एंड फोर कॉस्टिंग
स्कूल ऑफ इंस्टिमेंटेशन डिपार्टमेंट - आईओटी इंटरनेट ऑफ थिंक्स
स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट - बीए इकोनॉमिक्स के नए कोर्स

10 फीसदी भी नहीं आ रहे कॉलेज
ईएमआरसी, इंदौर के डायरेक्टर डॉ. चंदन गुप्ता बताते हैं कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में लगभग 10 हजार से भी ज्यादा स्टूडेंट्स हैं। इनमें 10 प्रतिशत स्टूडेंट्स भी कॉलेज नहीं आ रहे हैं। नई शिक्षा नीति के चलते नए कोर्स लाना जरूरी था। हालांकि ज्यादा कोर्स लागू नहीं किए गए, क्योंकि इन कोर्सेस में ही स्टूडेंट्स का रुझान नहीं दिख रहा है। साईटी के नए कोर्स और पिछले साल ही लागू किए गए बीएससी के नए कोर्स में भी स्टूडेंट्स रूचि नहीं ले रहे हैं। अभी स्थिति दुविधा में है।



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