कोरोना कवच के साथ जन्म ले रहे नवजात, मां की समझदारी बनी ढाल

लवीन ओव्हाल. इंदौर. कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच एक अच्छी खबर आई है. जिन गर्भवती महिलाओं ने कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लिए हैं, उनके बच्चे कोरोना कवच के साथ पैदा होंगे, यानि उन बच्चों में जन्म के साथ कोरोना एंटीबॉडी होगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए शोध में यह बात सामने आ चुकी है।

भारत में फिलहाल इस पर शोध हो रहा है। वहीं एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने वैक्सीनेशन करा चुकी गर्भवती महिलाओं के नवजात बच्चों का एंटीबॉडी स्तर जांचने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान इंदौर में पिछले 9 माह से जारी है। सभी 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन जून से शुरू हुआ। इसके पहले 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाने के साथ ही 45 से अधिक उम्र के लोगों का भी टीकाकरण शुरू किया गया।

Newborn born with Corona Kavach
IMAGE CREDIT: patrika

अगस्त से जिले की गर्भवती महिलाओं का भी टीकाकरण कराया गया। इसके लिए शहर के चुनिंदा सेंटरों पर महिलाओं को कोवैक्सीन के डोज लगाए गए। इसमें पहला डोज लगाने के 28 दिन बाद दूसरा डोज भी लगाया। दूसरा डोज लगा चुकी कई गर्भवती महिलाएं बच्चों को जन्म दे चुकी हैं। अब इन बच्चों का एंटीबॉडी स्तर जांचने के लिए उसके नमूने लेकर शोध किया जाएगा।

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इंदौर जिले में अब तक 44 लाख 67 हजार लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। इनमें से 29 लाख 2 हजार को पहला और 15 लाख 64 हजार को दूसरा डोज लग चुका है। गर्भवती महिलाओं की करें तो जिले में रजिस्टर्ड कुल 45 हजार में से 14 हजार 913 को पहला डोज और 3 हजार 936 को दूसरा डोज लगा है। इस तरह कुल 18 हजार 849 गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लग चुकी है।

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अमरीकन जर्नल ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी में बताया है, कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा देने वाली एंटीबॉडी गर्भ में रहते हुए ही मां से बच्चे में स्थानांतरित हो जाती हैं। इस खोज से इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं, गर्भवती महिलाएं जिनके शरीर में कोरोना संक्रमण के बाद सुरक्षात्मक एंटीबॉडी बनती हैं, वे उसे प्राकृतिक इम्युनिटी के तौर पर अपने बच्चे को भी स्थानांतरित करती हैं। अध्ययन के नतीजों से इस बात को भी बल मिला कि अगर गर्भवती महिला को कोविड का टीका लगाया जाए तो वह नवजात शिशु के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।

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एमजीएम मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. हेमंत जैन बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए शोध के अनुसार गर्भवती महिला की एंटीबॉडी गर्भस्थ शिशु में भी ट्रांसफर होती है। स्थानीय स्तर पर वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिए कोरोना टीका लगवा चुकी गर्भवती महिलाओं के बच्चों में भी एंटीबॉडी स्तर का पता करने के लिए हम एक शोध की योजना बना रहे हैं। इसमें टीकाकृत गर्भवती महिलाओं के बच्चों के नमूने लेकर जांच के लिए भेजेंगे। इस शोध से हमें काफी अहम जानकारी मिल सकती है।



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