अफ्रीका से पलायन करके सऊदी अरब में कब पहुंचे थे इंसान? मिले 4 लाख साल पुराने सबूत

रियाद सऊदी अरब में ताजा में अफ्रीका से अरब पेनिनसुला पलायन करने वालों के सबसे पुराने सबूत मिले हैं। सऊदी हेरिटेज अथॉरिटी ने ऐलान किया है कि 4 लाख साल पहले होने वाले इस पलायन के सबूत नई खोज से मिल सकते हैं। इनकी से इस साम्राज्य की सभ्यता की अहमियत पता चलती है और अफ्रीका के बाहर पुरातन समुदायों की मानव विकास में भूमिका को समझा जा सकता है। रिसर्च के लिए अंतरराष्ट्रीय टीम में सऊदी एक्सपर्ट्स, किंग साऊद यूनिवर्सिटी, जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट के एक्सपर्ट्स शामिल थे। लाखों साल पहले के सबूत मिले खोज में पत्थर के औजार और जानवरों की हड्डियों के जीवाश्म नाफूद रेगिस्तान की सूखी हुई झीलों में मिले हैं। 4 लाख साल पुरानी चीजों में Acheulean कुल्हाड़ी खल अमीशान में ताबुक के बाहर मिली हैं। इन्हें अरब पेनिनसुला पर सबसे पुरानी पुरातत्व खोज माना जाता है। इनसे संकेत मिला है कि पलायन 300,000, 200,000, 130,000-75,000 और 55,000 साल पहले हो रहे थे। पत्थरों से बने औजार बरामद ‘नेचर’ में छपी स्टडी में जूबा और खल अमीशान की सूखी हुईं झीलों के सेडिमेंट्स की परतों में की गईं खोजों के बारे में बताया गया है। ये झीलें बारिश के दौरान भरती थीं। खोज में इंसानों की मौजूदगी और विकास के अलग-अलग चरणों के बारे में पता चला है। इससे लोगों के समूहों और पत्थर से बनीं चीजों में अंतर भी साफ हुआ है। पर्यावरण का पता चला इस खोज में दो साल पहले पत्थरों से बनीं चीजें मिली हैं जबकि दक्षिणपश्चिम एशिया में ज्यादातर चीजें काफी पुरानी हैं। इससे अरब पेनिनसुला में रहने वाले लोगों की सभ्यता का पता चलता है और यह भी साफ होता है कि तत्कालीन पर्यावरण और सांस्कृतिक हालात का क्या असर रहा होगा। स्टडी में इस बात की पुष्टि की गई है कि ये पुरातत्व स्थान पत्थरों की कलाकारी से जुड़े थे न कि लोगों के रहने से। जानवरों के जीवाश्म भी खल अमीशान ने अलग-अलग काल के पर्यावरण की जानकारी दी है। इसमें सबसे पुरानी परत 4 लाख साल पुरानी है जिसमें Acheulean कुल्हाड़ी हैं। इसके ऊपर 3 लाख साल पुरानी परत में पत्थर की कुल्हाड़ी मिली हैं। वहीं, जानवरों के जीवाश्म से हिपो और मवेशियों की मौजूदगी का पता चला है। इससे संकेत मिले हं कि अरब पेनिनसुला के उत्तर में पर्यावरण में पानी और पौधे ज्यादा थे जो उस वक्त उत्तर अफ्रीका के पर्यावरण से मेल खाता है।


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