मॉस्कोपिछले साल 2020 की गर्मियों के दौरान साइबेरिया में चूना पत्थरों से निकलने वाली मीथेन गैस में बढ़ोत्तरी हुई। इस घटना से पृथ्वी के वायुमंडल में 'मीथेन बम' फट सकता है। बॉन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के एक नए अध्ययन में पाया गया है कि साइबेरिया में भयंकर गर्मी के कारण 1979 से 2000 की अवधि के दौरान तापमान में 6 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी हुई है। जून 2020 से इस क्षेत्र के दो बड़े इलाकों (Taymyr Fold Belt और Rim of the Siberian Platform) में मीथेन सांद्रता बढ़ी है। CO2 से ज्यादा खतरनाक मीथेनरिसर्च के प्रमुख लेखक, बॉन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ निकोलस फ्रोइट्जहाइम ने एक बयान में कहा कि मीथेन यहां बेहद खतरनाक है क्योंकि इसकी गर्म होने की क्षमता CO2 की तुलना में कई गुना ज्यादा है। Environmental Defense Fund के अनुसार मीथेन में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना ज्यादा वॉर्मिंग पावर होती है। रिसर्चर्स ने भूवैज्ञानिक मानचित्रों के साथ उत्तरी साइबेरिया की हवा में मीथेन सांद्रता के स्थानिक और अस्थायी वितरण की तुलना की। Permafrost के पिघलने का डरअप्रैल 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, उत्तरी गोलार्ध का लगभग 15 प्रतिशत या पूरे विश्व का 11 प्रतिशत हिस्सा Permafrost (पृथ्वी की सतह पर या उसके नीचे स्थायी रूप से जमी हुई परत) कवर करता है। अगर जलवायु परिवर्तन के कारण जमीन के नीचे का यह हिस्सा पिघल जाता है तो यह विशेष रूप से चिंता की बात हो सकती है क्योंकि बढ़ता तापमान इस पर असर डालता है। बाहर आ सकती हैं प्राचीन बीमारियांयह रिसर्च प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में छपी है। कई वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि अगर पृथ्वी का पर्माफ्रॉस्ट पिघल गया तो क्या होगा? जुलाई 2020 में, विशेषज्ञों के एक अलग समूह ने पाया कि पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से सूक्ष्मजीव पहले की तुलना में 40 बिलियन टन ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ सकते हैं। सितंबर 2017 में प्रकाशित एक रिसर्च सहित अन्य अध्ययनों ने पर्माफ्रॉस्ट में फंसी प्राचीन बीमारियों के अनलॉक होने के बारे में चिंता जताई थी।
from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/2WKblv6