मुस्‍तकबिल का भारत: उर्दू काउंसिल के RSS चीफ मोहन भागवत की किताब का प्रचार करने पर विवाद

मुंबई राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की किताब का प्रमोशन कर उर्दू काउंसिल के निदेशक विवादों में घिर गए हैं। उर्दू लेखकों और विद्वानों ने इसपर आपत्ति जताई है। उन्‍होंने पूछा है कि क्‍या यह 'मुस्लिमों के बीच RSS को मशहूर' करने की कोशिश है? नैशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्‍वेज (NCPUL) के निदेशक शेख अकील अहमद ने ही भागवत की किताब 'भविष्‍य का भारत' का उर्दू में '' नाम से अनुवाद किया है। इसे NCPUL ने प्रकाशित किया है। 'भविष्‍य का भारत' 2018 में विज्ञान भवन में दिए गए भागवत के तीन दिन लेक्‍चर सीरीज का हिंदी संग्रह है। इसके उर्दू संस्‍करण का लॉन्‍च सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और वरिष्‍ठ आरएसएस नेता कृष्‍ण गोपाल नई दिल्‍ली के इंडिया इंटरनैशनल सेंटर में करेंगे। NCPUL के कदम से उर्दू लेखक हुए नाराजभागवत की किताब के छपने और उसके प्रचार में सरकारी संस्‍था NCPUL में शमिल होने पर उर्दू लेखकों और विद्वानों ने एक धड़े ने आपत्ति जताई है। उर्दू कवि और दिल्‍ली उर्दू एकेडमी के पूर्व उप-चेयरमैन माजिद देवबंदी ने कहा, "यह NCPUL के फंड्स का सरासर दुरुपयोग है, जिसका मकसद लेखकों और कवियों की मदद पर उर्दू को प्रोत्‍साहित करना है। एक किताब जो किसी संस्‍था की विचारधारा को बढ़ावा देती है, उसका प्रचार नियमों और नीतियों के खिलाफ है।" हालांकि अहमद ने इस कदम का बचाव किया है। उन्‍होंने कहा, "NCPUL ने पहले गीता और गुरु ग्रंथ साहिब का भी अनुवाद किया है। लेक्चर्स का यह संग्रह नए भारत की बात करता है। इसमें कुछ गलत नहीं अगर NCPUL उर्दू पाठकों तक यह किताब पहुंचा रहा है।" NGO उर्दू कैरावैन के निदेशक फरीद खान ने कहा कि एक तरफ जहां कई उर्दू लेखक और शायद तंगहाली में जिए और अपने काम को छपवाने के उनके पास संसाधन नहीं थे, NCPUL के निदेशक भागवत की किताब प्रमोट करने में दिलचस्‍पी दिखा रहे हैं।


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