धरती के बाहर जीवन की खोज कर रहे NASA से जुड़े वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह को लेकर एक नई थिअरी विकसित की है। मंगल पर जगह बदलती रेत के बारे में वैज्ञानिकों ने जो खोज की है उससे भविष्य में इंसानों को वहां बसाने की कोशिश में अहम जानकारी मिल सकती है। SETI इंस्टिट्यूट की सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट जैनिस बिशप की टीम की थिअरी के मुताबिक मंगल की बंजर सतह के नीचे बर्फ की पतली सतह हो सकती है। इसकी वजह से यहां भूस्खलन होते हैं, सतह से मलबा खिसक जाता है और जमीन अंदर धंस जाती है।Ice on Mars Surface: मंगल ग्रह पर मौजूद बर्फ की वजह से जमीन अंदर धंसती है। नई स्टडी में दावा किया गया है कि मंगल की सतह के नीचे बर्फ की वजह से मलबा धंस जाता है।

धरती के बाहर जीवन की खोज कर रहे NASA से जुड़े वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह को लेकर एक नई थिअरी विकसित की है। मंगल पर जगह बदलती रेत के बारे में वैज्ञानिकों ने जो खोज की है उससे भविष्य में इंसानों को वहां बसाने की कोशिश में अहम जानकारी मिल सकती है। SETI इंस्टिट्यूट की सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट जैनिस बिशप की टीम की थिअरी के मुताबिक मंगल की बंजर सतह के नीचे बर्फ की पतली सतह हो सकती है। इसकी वजह से यहां भूस्खलन होते हैं, सतह से मलबा खिसक जाता है और जमीन अंदर धंस जाती है।
बर्फ की वजह से धंसती है जमीन

सूरज की गर्मी से यह बर्फ पिघलती है और सतह के मलबे को ढीला कर देती है। इससे वहां चलने वाले तूफान इसे लेकर उड़ते रहते हैं। सतह के नीचे बर्फ, क्लोरीन सॉल्ट और सल्फेट इसके नीचे सिंकहोल (Sinkhole) बनाते हैं और जमीन धंसने का खतरा पैदा हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो इससे वहां इंसानों को बसाना मुश्किल हो सकता है। Mars Reconaissance Orbiter के हाई रेजलूशन इमेजिंग साइंस एक्सपेरिमेंट डेटा से इस बात की पुष्टि हुई है कि सूरज की ओर जो स्लोप होते हैं, वहां ये देखने को मिलता है।
मंगल पर क्या होता है असर?

इसके बाद धरती की मंगल जैसी जगहों से सैंपल पर लैब में स्टडी की गई, जैसे अटाकामा रेगिस्तान और अंटार्कटिका। इसमें देखा गया कि क्लोरीन सॉल्ट और सल्फेट पर मंगल जैसे कम तापमान में क्या असर होता है। मिट्टी -50 डिग्री सेल्सियस पर बर्फ में तब्दील होती मिली जिससे -40 और -20 डिग्री सेल्सियस के बीच बर्फी की शीट तैरती मिलीं।
मिली पानी की संभावना

इस रिसर्च में पहले की स्टडीज के नतीजों को आधार बनाया गया है जिनमें मंगल पर बर्फ की मौजूदगी का दावा किया गया था। मंगल की सतह पर कम दबाव की वजह से लिक्विड पानी की मौजूदगी संभव नहीं होती है लेकिन वैज्ञानिकों को काफी वक्त से ऐसी संभावना लगती रही है कि यहां पानी हो सकता है। अरबों साल पहले जब यहां सागर और झीलें थीं, हो सकता है उनके निशान बाकी हों। अगर ऐसा कोई जलाशय होता है तो वह मंगल पर जीवन की उम्मीद जगा सकता है।
धरती जैसी मंगल की जमीन?

मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के नीचे तीन विशाल सॉल्टवॉटर झीलें मिलने की बात एक स्टडी में सामने आई थी। ऐसी ही झीलें धरती पर भी होती हैं जिनमें extremophiles यानी ऐसे सूक्ष्मजीव रहते हैं जो बेहद गर्म या बेहद ठंडे पर्यावरण में रह सकते हैं। ये जीव बिना ऑक्सिजन, जीरो से कम तापमान और ऐसे नमकीन पानी में रह सकते हैं जहां दूसरे जीव नहीं टिक सकते हैं। ये धरती पर अंटार्कटिक डीप लेक (Antarctic Deep Lake) में पाए जाते हैं और हो सकता है कि मंगल की झीलों में भी ऐसे ही जीव मिल जाएं।
PRESS RELEASE: https://t.co/LlaHVOpRIh A team of researchers led by SETI Institute Senior Research Scientist Janic… https://t.co/pSH0AGYQak
— The SETI Institute (@SETIInstitute) 1612382463000
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