यूरोपीय देशों में अमेरिकी सेना की बढ़ती धमक के बीच रूस ने भी अपनी नौसैनिक ताकत को बढ़ाना शुरू कर दिया है। रूस की कई परमाणु पनडुब्बियां बाल्टिक सागर और कारा सागर के इलाके में जबरदस्त गश्त कर रही हैं। इतना ही नहीं, रूसी नौसेना में 2019 में शामिल दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु पनडुब्बी बेलगोरोड की भी रणनीतिक तैनाती की जा चुकी है।
यूरोपीय देशों में अमेरिकी सेना की बढ़ती धमक के बीच रूस ने भी अपनी नौसैनिक ताकत को बढ़ाना शुरू कर दिया है। रूस की कई परमाणु पनडुब्बियां बाल्टिक सागर और कारा सागर के इलाके में जबरदस्त गश्त कर रही हैं। इतना ही नहीं, रूसी नौसेना में 2019 में शामिल दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु पनडुब्बी बेलगोरोड की भी रणनीतिक तैनाती की जा चुकी है। स्पेशल मिशन को अंजाम देने में माहिर इस पनडुब्बी में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात हैं, जो पलक झपकते वॉशिंगटन डीसी और न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहरों को खत्म कर सकती है। इसी हफ्ते अमेरिका ने अपने परमाणु बॉम्बर्स की एक टीम को रूस के नजदीक नॉर्वे में तैनात किया है। जिसके बाद से ही दोनों देशों में तनाव और बढ़ गया है। इन दिनों राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी एलेक्सी नवलनी की गिरफ्तारी के बाद से रूस और यूरोपीय देशों के बीच भी तनाव जारी है। ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग से रूस चिंतित है और अपनी सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए जी-जान से जुटा हुआ है।
6 परमाणु टॉरपीडो से रेकी और हमला कर सकती है बेलगोरोड पनडुब्बी
604 फीट लंबी बेलगोरोड पनडुब्बी में छह की संख्या में पोसिडन लॉन्ग रेंज स्ट्रैटजिक न्यूक्लियर टॉरपीडो तैनात होते हैं। इस टॉरपीडो के जरिए रूसी नौसेना खुफिया जानकारी जुटाती है। यह एक अनमैंड अंडरवॉटर व्हीकल है, जो दुश्मन के इलाके में घुसकर खुफिया जानकारी इकट्ठा कर सकता है। पोसिडन को स्टेटस-6 ओशेनिक मल्टीपरपज सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है। यह अंडरवॉटर ड्रोन दुश्मनों के ठिकानों पर परंपरागत और परमाणु मिसाइलों के साथ हमला करने में भी सक्षम है। ऐसी स्थिति में रूस की बेलगोरोड पनडुब्बी दुश्मन के जद से काफी दूर रहते हुए उनके ठिकानों की न केवल रेकी कर सकती है, बल्कि जरूरत पड़ने पर बर्बाद भी कर सकती है। पोसिडन अंडरवॉटर ड्रोन को 2018 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया के सामने पेश किया था।
1700 फीट की गहराई तक गोता लगा सकती है यह पनडुब्बी
बेलगोरोड पनडुब्बी समुद्र में 1700 फीट की गहराई तक गोता लगा सकती है। इतनी गहराई पर केवल कुछ ही देशों की पनडुब्बियां जा सकती हैं। 1700 फीट की गहराई तक गोता लगाने के कारण दुश्मन देशों के रडार और सोनार इसका पता बहुत मुश्किल से लगा पाएगें। ऐसे में अगर यह पनडुब्बी अमेरिका के नजदीक पहुंच जाती है तो यूएस नेवी के लिए इसे डिटेक्ट करना मुश्किल हो सकता है। इस पनडुब्बी को आधिकारिक तौर पर प्रोजेक्ट -09852 के तहत बनाया गया था। इसे मूल रूप से मूल रूप से ऑस्कर-2 क्लास की क्रूज मिसाइल पनडुब्बी से विकसित कर स्पेशल मिशन पनडुब्बी के रूप में विकसित किया गया है। इस पनडुब्बी के पानी के विस्थापन अमेरिका की ओहियो क्लास की पनडुब्बियों से 50 फीसदी अधिक है।
अंडरवॉटर इंटेलिजेंस एजेंसी के नाम से प्रसिद्ध है यह पनडुब्बी
यह पनडुब्बी इतने गुपचुप तरीके से अपने मिशन को अंजाम देगी कि इसे रूस का अंडरवॉटर इंटेलिजेंस एजेंसी नाम दिया गया है। बेलगोरोड पनडुब्बी के कप्तान सीधे राष्ट्रपति पुतिन को रिपोर्ट करेंगे। विशेषज्ञों ने संभावना जताई है कि अगर इन परमाणु तारपीडो में से किसी एक का भी प्रयोग किया जाता है तो समुद्र में रेडियोएक्टिव सुनामी आ सकती है। इस पनडुब्बी की तैनाती अमेरिका समेत कई देशों के लिए खतरा बन सकती है। बेलगोरोड पनडुब्बी 80 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकती है। जो समुद्र के भीतर 1700 फीट गहराई तक जा सकेगी। इस पनडुब्बी को सोनार से पता लगाना बहुत मुश्किल है।
दो मेगाटन के परमाणु बमों से कर सकती है हमला
इसमें लगे तारपीडो अपने साथ दो मेगाटन के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं। इनकी क्षमता अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 130 गुना ज्यादा है। सोवियत संघ के विघटित होने के बाद से रूस कमजोर हो गया था। इसके अलावा अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के प्रतिबंधों ने रूसी अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया था। इस समय एक बार फिर दुनिया के कई देशों को हथियारों की सप्लाई कर फिर से अपना प्रभुत्व कायम करने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, अमेरिका काट्सा जैसे नए प्रतिबंधों को लाकर दुनियाभर के देशों को रूप से हथियार न खरीदने की धमकी दे रहा है। यही कारण है कि कुछ दिन पहले अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिकी प्रशासन ने भारत को भी परोक्ष रूप से रूस से एस-400 डिफेंस सिस्टम न खरीदने को कहा है।
कितनी ताकतवर है अमेरिका की ओहियो क्लास की पनडुब्बी
परमाणु शक्ति से चलने वाली गाइडेड मिसाइल सबमरीन यूएसएस ओहियो आकार और प्रहार दोनों के मामले में दुनिया के शीर्ष हथियारों में से एक है। लंदन के रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ सिद्धार्थ कौशल के अनुसार, अमेरिका की ओहियो क्लास की पनडुब्बी दुश्मन के क्षेत्र में अंदर तक घुसपैठ कर सैनिकों और मिसाइलों से हमला कर सकती है। अमेरिका के ओहियो क्लास की पनडुब्बियों में यूएसएस ओहियो के अलावा यूएसएस मिशिगन, यूएसएस फ्लोरिडा और यूएसएस जॉर्जिया शामिल हैं। ये सभी पनडुब्बियां घातक एंटी शिप मिसाइलों से लैस हैं और इनमें दुश्मन की पनडुब्बियों से बचाव करने की भी सबसे आधुनिक तकनीकी लगी हुई है। इस पनडुब्बी में पहले परमाणु मिसाइलों को भी लगाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें हटाकर दूसरी इंटरकॉन्टिनेंटर बैलिस्टिक मिसाइलों को लगाया गया है। ओहियो को ताकत देने के लिए एक परमाणु रिएक्टर को लगाया गया है, जो इसके दो टर्बाइनों के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
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