खशोगी केस में फंस रही सऊदी प्रिंस सलमान की गर्दन, जानें क्यों ऐक्शन से बच रहे बाइडेन?

अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को जिम्मेदार ठहराया गया है जिसका सऊदी ने खंडन किया है। वहीं, जो बाइडेन प्रशासन ने 76 सऊदी नागरिकों पर बैन लगा दिया है। 'खशोगी बैन' उन लोगों के खिलाफ लगाया गया है जो पत्रकारों या सरकार के आलोचकों की आवाज दबाने, प्रताड़ित करने, धमकाने या नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन लोगों में क्राउन प्रिंस मोहम्मिद बिन सलमान (MBS) का नाम नहीं है और माना जा रहा है बाइडेन प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा भी नहीं।

अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन को पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए सीधे जिम्मेदार माना गया है। हालांकि, जो बाइडेन प्रशासन शायद ही उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।


Khashoggi Murder Case Explained: जमाल खशोगी केस में फंस रही सऊदी प्रिंस सलमान की गर्दन, जानें क्यों ऐक्शन से बच रहे जो बाइडेन?

अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को जिम्मेदार ठहराया गया है जिसका सऊदी ने खंडन किया है। वहीं, जो बाइडेन प्रशासन ने 76 सऊदी नागरिकों पर बैन लगा दिया है। 'खशोगी बैन' उन लोगों के खिलाफ लगाया गया है जो पत्रकारों या सरकार के आलोचकों की आवाज दबाने, प्रताड़ित करने, धमकाने या नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन लोगों में क्राउन प्रिंस मोहम्मिद बिन सलमान (MBS) का नाम नहीं है और माना जा रहा है बाइडेन प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा भी नहीं।



'तुर्की में निर्मम हत्या सलमान ने कराई'
'तुर्की में निर्मम हत्या सलमान ने कराई'

वॉशिंगटन पोस्ट के लिए सऊदी सरकार की आलोचना में कॉलम लिखने वाले जमाल खशोगी को तुर्की में हत्या कर दी गई थी। उन्हें सऊदी कॉन्सुलेट में तुर्किश नागरिक से शादी से जुड़े दस्तावेज के सिलसिले में बुलाया गया और फिर निर्मम हत्या कर दी गई। पहली बार अमेरिकी रिपोर्ट में इसके लिए सीधे तौर पर MBS को जिम्मेदार ठहराया गया है। सऊदी ने इसका खंडन किया है। सऊदी प्रेस एजेंसी पर जारी बयान में विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट को नकारात्मक, फर्जी और अस्वीकार्य बताया है। दावा किया गया है कि इसमें दी गई जानकारी और नतीजे गलत हैं।



ट्रंप का किया बदलेंगे बाइडेन?
ट्रंप का किया बदलेंगे बाइडेन?

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के साथ सऊदी के रिश्तों को सुधारते हुए मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को नजरअंदाज किया था। जो बाइडेन ने अपने चुनावी कैंपेन में दावा किया था कि वह इसमें सुधार करेंगे। ब्लिंकेन ने कहा कि रिपोर्ट खशोगी की हत्या के लिए दुनिया की ओर से की गई निंदा को पुख्ता करती है और ऐसी सरकारों पर लगाम लगाती है जो अपनी सीमाओं से बाहर जाकर मूलभूत आजादी का इस्तेमाल कर रहे पत्रकारों और आलोचकों को धमकाती हैं और उन पर हमला करती हैं।



सऊदी को नाराज नहीं करना चाहता अमेरिका
सऊदी को नाराज नहीं करना चाहता अमेरिका

हालांकि, बाइडेन प्रशासन सऊदी को पूरी तरह नाराज भी नहीं करना चाहता है। इस्लामिक स्टेट और अल कायदा को खत्म करना अभी भी उसके लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए सीधे-सीधे MBS पर कोई कार्रवाई की जाएगी, इसकी संभावना कम दिखती है। सरकार की कोशिश है कि मिडिल ईस्ट के साथ संबंधों को बिना तोड़े ऐक्शन लिया जाए। सूत्रों का दावा है कि सरकार का मकसद संबंधों को नई शक्ल देना है, न कि उन्हें पूरी तरह खत्म करना। इसलिए रिपोर्ट के जरिए कड़ा संदेश दिया जा रहा है।



प्रिंस के स्क्वॉड का नाम
प्रिंस के स्क्वॉड का नाम

अमेरिका ने पूर्व डेप्युटी सऊदी इंटेलिजेंस चीफ अहमद अल-असीरी और सऊदी रॉयल गार्ड की रैपिड इंटरवेंशन फोर्स पर प्रतिबंध लगाए हैं। RIF को टाइगर स्क्वॉड या फिरकत एल-नेमर कहा जाता है जिसे खशोगी की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है-'फोर्स क्राउन प्रिंस को डिफेंड करने, उनके प्रति जवाबदेह है और पहले भी सीधे तौर पर देश के अंदर और बाहर आलोचकों के खिलाफ काम किया है।' 35 साल के प्रिंस सऊदी में बेहद ताकतवर हैं लेकिन अमेरिका उन्हें राजा की गद्दी पर देखना नहीं चाहता।



ईरान, चीन, रूस भी चुनौती?
ईरान, चीन, रूस भी चुनौती?

सऊदी के साथ अमेरिका कैसे संबंध कायम करता है, यह उसके और ईरान के संबंधों पर आधारित भी होगा और उन पर असर भी डालेगा। सऊदी और ईरान एक-दूसरे के कट्टर विरोधी हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि हाल के सालों में ईरान ने मिडिल ईस्ट में प्रभुत्व कायम किया है। लेबनान, सीरिया, इराक और यमन में वह विद्रोहियों को समर्थन दे रहा है जो सऊदी के लिए सिरदर्द बना है। अमेरिका ने सऊदी के साथ हथियारों की डील पर फिलहाल ब्रेक भी लगा दिया है जिससे यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को मौका मिल गया है। ऐसे में सऊदी डिफेंस और सिक्यॉरिटी पार्टनर के तौर पर रूस या चीन की ओर रुख करता है तो अमेरिका के लिए भी मुश्किल होगी।





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