बेसहारा बुजुर्गों के अपमान के मामले में जांच को लेकर निगम का रवैया अब भी ढीला

इंदौर. नगर निगमकर्मियों द्वारा शुक्रवार को बुजुर्गों से किए अमानवीय व्यवहार को लेकर जांच तो बैठाई गई, लेकिन चार दिन बाद भी न तो बयान लिए, न ही मौके का मुआयना या अन्य बिंदु पर कोई जांच की गई। जांच के मामले में नगर निगम का रवैया ढीला नजर आ रहा है।

नगर निगम के अफसर पहले दिन से ही दोषी अफसरों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। मामला राष्ट्रीय तक पहुंच चुका है। कई बड़ी हस्तियां इस पर चिंता जता चुकी है यहां तक कि मानवाधिकार आयोग ने भी मामले पर संज्ञान ले लिया है। इसके बावजूद निगम की जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है। शुक्रवार को जैसे ही मामले का खुलासा हुआ तो शनिवार को निगमायुक्त ने अपर आयुक्त अभय राजनांदगांवकर को जांच सौंपी। जांच कमेटी बनने के 4 दिन बाद न तो निलंबित हुए कर्मचारियों और बुजुर्गों के बयान लिए गए न ही मौके पर जाकर वस्तुस्थिति का पता किया गया।

कुछ भी कहने से बच रहे अफसर
जांच की प्रगति को लेकर अफसर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। जांच कब तक पूरी होगी, इसे लेकर भी समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। निगम के ढीले रवैये के कारण साफ है कि हर मामले की तरह इसे भी जांच के नाम पर दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

जांच के नाम पर दबा देते है मामला
जांच के नाम पर मामले को दबाने का इंदौर नगर निगम का पुराना रवैया है। पहले तो किसी भी मामले पर जांच बैठाकर आम जनता को संतुष्ट करने का प्रयास किया जाता है फिर जांच करने में समय निकालकर मामला दबा दिया जाता है। अपरआयुक्त, नगर निगम अभय राजनांदगांवकर ने कहा कि बुजुर्गों के मामले में जांच प्रगति पर है। जल्द ही जांच का प्रतिवेदन बनाकर निगमायुक्त को सौंपा जाएगा।

इन चर्चित मामलों को दबा दिया गया
- जून 2020 में पीपल्याहाना चौराहे के नजदीक फुटपाथ पर निगम ने ठेला पलटा दिया था। मामले में बयान लिए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

- एमएस होटल हादसे में 10 लोगों की जान चली गई, जांच बैठी पर कार्रवाई नहीं हुई।

- बीते साल अतिवृष्टि में कई क्षेत्र जलमग्न हो गए, लेकिन इस पर भी जांच नहीं हुई।

इन बिंदुओं पर जांच हो तो तय हो जिम्मेदारी

- बुजुर्गों और निलंबित कर्मचारी अफसर के बयान

- प्रत्यदर्शियों के बयान लेकर मौके का मुआयना

- जिस गाड़ी में बुजुर्गों को छोड़ गया उस पर तैनात कर्मचारियों के बयान

- रिमूवल विभाग की गाड़ी और कर्मचारियों की भूमिका की जांच

- शिप्रा तक बुजुर्ग कैसे पहुंचे और इसकी अनुमति देने वाले कौन है।

- शिवाजी वाटिका, एमवायएच, शिप्रा और फिर से रैन बसेरे तक पूरे दिन की घटना में शामिल अफसरों और कर्मचारी भूमिका की जांच



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