नई दिल्ली कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश के रास्ते जाम किए जाने की चेतावनी के एक दिन बाद सोमवार को शहर पुलिस ने पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सटी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। बुराड़ी मैदान में एकत्र होने के बाद बातचीत की केन्द्र की पेशकश ठुकरा कर प्रदर्शन कर रहे किसान फिलहाल टिकरी, सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर पर जमे हुए हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने विभिन्न बॉर्डर प्वांइट पर अपनी मौजूदगी बढ़ा ली है। अधिकतम संख्या में तैनाती की गई है।'' दिल्ली के पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव ने सिंघू बॉर्डर पहुंच कर हालात का जायजा लिया। आयुक्त ने कहा, ''उन्हें (किसानों) पेशकश की गई है और सड़क के बजाए बुराड़ी मैदान में उनके लिए प्रबंध किया गया है। सड़क पर यातायात की समस्या पैदा हो रही है। वहां पीने का पानी, शौचालय कुछ नहीं है, जबकि बुराड़ी मैदान में बेहतर प्रबंध है।' 'हमारी मांगों पर तोल-मोल नहीं होगा' सिंघू बॉर्डर पर सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके 'मन की बात' सुनें। उन्होंने कहा, 'हमारी मांगों पर तोल-मोल नहीं होगा।' उन्होंने दावा किया कि अगर उनकी चिंताएं दूर नहीं की गईं तो सत्तारूढ़ पार्टी ''भारी कीमत चुकाएगी।'' प्रतिनिधि ने कहा, ''हम यहां अंतिम लड़ाई लड़ने आए हैं।'' वहीं दूसरी ओर टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का एक छोटा समूह उत्तरी दिल्ली में बुराड़ी आ गया है और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए केन्द्र सरकार द्वारा तय मैदान में रूका है। ..लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बुराड़ी मैदान में जाने से इंकार कर दिया है' टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा इंतजाम से जुड़े बाहरी दिल्ली जिले के एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सीमा पर हालात शांतिपूर्ण हैं और प्रदर्शनकारी अभी तक राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश नहीं कर सके हैं। एहतियात के तौर पर बहु-स्तरीय अवरोधक लगाकर भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। अधिकारी ने बताया, ''स्थिति शांतिपूर्ण है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बुराड़ी मैदान में जाने से इंकार कर दिया है। सीमा पर कई स्तर पर अवरोधक लगाए गए हैं।'' उन्होंने कहा, ''लेकिन किसान अभी भी बॉर्डर पर हैं और दिल्ली में प्रवेश नहीं किया है। उनका कहना हैकि वे भविष्य की रणनीति 3 दिसंबर को तय करेंगे, इसी दिन किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया गया है।''
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