गुना। एमपी में गुना जिले की बमोरी विधानसभा क्षेत्र में 3 नवंबर को उपचुनाव होना है जिसकी आचार संहिता भी लागू हो गई है। आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले बमोरी के भदौरा गांव में दो सड़कों का भूमि पूजन हुआ, जो बीजेपी के लिए अब जी का जंजाल बनता दिख रहा है। भूमिपूजन की शिलालेख पट्टिका पर स्थानीय का नाम नहीं होने से उनके समर्थक यादव समुदाय ने बीजेपी और के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समुदाय के लोगों का आरोप है कि राजनीति के चलते गुना-शिवपुरी के सांसद का बीजेपी के कार्यक्रमों में ही जानबूझकर अपमान किया जा रहा है। यादव समुदाय ने इसके खिलाफ आगामी विधानसभा चुनावों में बमोरी से बीजेपी उम्मीदवार और प्रदेश के पंचायत मंत्री मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को हराने के लिए कमर कसने का ऐलान कर दिया है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के उम्मीदवार थे। बीजेपी उम्मीदवार के रूप में के पी यादव ने उन्हें हराया था, लेकिन सिंधिया अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि सिंधिया के इशारे पर ही सांसद का बार-बार अपमान किया जा रहा है। इससे पहले भी जमरा गांव में शिलान्यास के दौरान सांसद का नाम शिलालेख पट्टिका पर नहीं था। समर्थकों के विरोध के बाद उनका नाम जोड़ा गया। लेकिन अब एक बार फिर से उनका नाम शिलालेख पट्टिका से गायब कर दिया गया। पट्टिका पर पंचायत मंत्री सिसोदिया के अलावा जिला अध्यक्ष गजेंद्र सिंह सिकरवार, गुना के विधायक गोपीलाल जाटव सहित सरपंच सचिव के नाम तक दर्ज थे। सांसद के समर्थकों का आरोप है कि अपमान करने के इरादे से जानबूझकर सिंधिया समर्थकों ने यादव का नाम कटवाया। सांसद के अपमान से आहत समर्थक व यादव समुदाय अब खुलकर बीजेपी के विरोध में स्वर उठाने लगा है। समर्थकों व समाज बंधुओं का कहना है कि बमोरी विधानसभा उपचुनाव में सिंधिया-समर्थक महेंद्र सिंह सिसोदिया को शिकस्त देने के लिए उन्होंने रणनीति बनाई है। यादव समुदाय के अलावा मिलने-जुलने वालों से भी मंत्री को वोट न देने की अपील वे गांव-गांव जाकर करेंगे। साथ ही, सिसोदिया द्वारा वन भूमि पर कराए जा रहे अवैध अतिक्रमण, गुंडागर्दी, जनपद के कार्यों में गोलमाल, घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग आदि मुद्दों के निष्पक्ष जांच की मांग भी वे करेंगे। पूरे विधानसभा क्षेत्र में मंत्री का खुलकर विरोध शुरू हो गया है। थोड़े दिन पहले सिसोदिया ने यादव समुदाय के कद्दावर नेताओं को इकट्ठा कर समाज को संतुष्ट करने का प्रयास किया था, लेकिन अब एक बार फिर से सांसद का अपमान होने के बाद समर्थकों ने बीजेपी और खासकर सिंधिया के खिलाफ लामबंदी शुरू कर दी है।
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