आखिर मुस्लिमों के गुस्से का ऐसा शिकार क्यों होता है फ्रांस?

पश्चिमी देशों में अभिव्यक्ति की आजादी को बाकी दुनिया से ज्यादा महत्व दिया जाता है। कई बार इन देशों में इस्लाम को लेकर व्यक्त किए गए विचारों पर विवाद भी हुआ है लेकिन फ्रांस के खिलाफ पैदा होने वाला गुस्सा बाकी देशों की तुलना में ज्यादा आक्रामक रहा है। ताजा विवाद के दौरान फ्रांस के खिलाफ जारी विरोध के बीच उसके सामान के बहिष्कार की मांग भी उठ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर फ्रांस को लेकर इस गुस्से का क्या कारण है। जवाब मिलता है फ्रांस के इतिहास में, उसकी धर्मनिरपेक्ष नीतियों और राष्ट्रपति की कड़ाई में जिनके रुख को संवेदनहीनता माना जाता है।

France Protests: फ्रांस के खिलाफ पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। दुनियाभर में, खासकर मुस्लिम देशों में फ्रांस के खिलाफ गुस्सा है।


France protests: आखिर मुस्लिमों के गुस्से का ऐसा शिकार क्यों होता है फ्रांस?

पश्चिमी देशों में अभिव्यक्ति की आजादी को बाकी दुनिया से ज्यादा महत्व दिया जाता है। कई बार इन देशों में इस्लाम को लेकर व्यक्त किए गए विचारों पर विवाद भी हुआ है लेकिन फ्रांस के खिलाफ पैदा होने वाला गुस्सा बाकी देशों की तुलना में ज्यादा आक्रामक रहा है। ताजा विवाद के दौरान फ्रांस के खिलाफ जारी विरोध के बीच उसके सामान के बहिष्कार की मांग भी उठ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर फ्रांस को लेकर इस गुस्से का क्या कारण है। जवाब मिलता है फ्रांस के इतिहास में, उसकी धर्मनिरपेक्ष नीतियों और राष्ट्रपति की कड़ाई में जिनके रुख को संवेदनहीनता माना जाता है।



क्या कहता है फ्रांस का इतिहास?
क्या कहता है फ्रांस का इतिहास?

पश्चिमी यूरोप में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी फ्रांस में है। 6.7 करोड़ की आबादी वाली देश में 50 लाख मुस्लिम हैं। कभी अफ्रीका और मध्यपूर्व में फ्रांस की कॉलोनी हुआ करती थीं और आज की आबादी वहीं से शामिल हुई है। हालांकि, देश में मुस्लिमों को शामिल करने की कोशिशों में खामियां रही हैं। आधिकारिक डॉक्ट्राइन के तहत देश के सभी नागरिकों को अपने धर्म या समुदाय से ऊपर खुद को फ्रांसीसी ही मानना होता है। हालांकि, इसकी वजह से आमतौर पर अलग दिखने, पहनावा पहनने या भाषा बोलने वाले लोगों को अलग तरह से देखा जाता है और उन्हें बहुसंख्यक कैथोलिक समाज से भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह देश के मुस्लिम समुदाय के अंदर गुस्सा पैदा होने लगा जो देश को उनकी परंपराओं के प्रति अपमानजनक और अरब या दूसरी जगहों से आए लोगों को नस्लभेदी मानता है।



सेना की गई तैनात
सेना की गई तैनात

फ्रांस ने अभी तक अपनी कॉलोनी रहे देशों पर आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के जरिए नियंत्रण रखा है। इसकी बानगी दूसरे देशों में उसकी सैन्य तैनाती में देखने को मिलती है। फ्रांस की सेनाओं ने हाल के सालों में माली और सीरिया में इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई की है। हजारों फ्रांसीसी सैनिक अफ्रीका में तैनात हैं। इसकी वजह से इस्लामिक स्टेट, अलकायदा और दूसरे संगठन फ्रांस के अंदर कार्रवाई को उकसाते हैं ताकि दबाव में आकर फ्रांस अपनी सेना हटा ले।



​धर्मनिरपेक्ष नीतियां
​धर्मनिरपेक्ष नीतियां

साल 1905 में फ्रांस में एक कानून लाया गया जिसके तहत चर्च और सरकार को एक-दूसरे से अलग कर दिया गया। इसके बाद एक न्यूट्रल देश में सभी धर्मों को शांतिपूर्ण तरीके से रहने का प्रावधान हुआ। यहां तक कि उस वक्त आक्रामक बहस के बीच क्लासरूम्स में से क्रूसिफिक्स को फाड़ दिया गया। इसके एक सदी बाद पोल में पता चला कि फ्रांस सबसे कम धार्मिक देशों में से एक है। धर्मनिरपेक्षता का समर्थन लेफ्ट और राइट दोनों करते हैं। मुस्लिमों की संख्या फ्रांस में बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नियम भी बढ़ते जा रहे हैं। यहां तक कि 2004 में मुस्लिम हेडस्कार्फ और धार्मिक चिह्नों को बैन कर दिया गया था जिसे लेकर देश में काफी बहस हुई।



मैक्रों का कड़ा रुख
मैक्रों का कड़ा रुख

फ्रांस पर पिछली कुछ दशकों में कई नेता आलोचना के शिकार हुए हैं लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति इम्मैन्युअल मैक्रों को खासा नाराजगी का सामना करना पड़ता है। प्रदर्शनकारियों ने उनकी तस्वीरें जला दीं। दरअसल मैक्रों ऐसा कानून लाना चाह रहे हैं जिससे इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। उनका कहना है कि ये लोग कुछ समुदायों को देश के खिलाफ भड़का रहे हैं और स्कूलों समेत दूसरे स्तंभों को खतरा पहुंचा रहे हैं। हालिया घटनाओं के बाद सरकार ने ऐसे मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई की है जो असिहिष्णुता की सीख दे रहे थे और ऐसे संगठनों को बंद कर दिया जो देश के कानूनों और नियमों को तोड़ रहे थे। हालांकि, उन्होंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया उससे भी उनके खिलाफ गुस्सा भड़का है। उन्होंने कार्टूनों की वकालत भी की जिससे मुस्लिम देशों के निशाने पर वे आ गए।





from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/2HSrYhc
Previous Post Next Post