...जब प्रणब मुखर्जी को लगातार तीन दिन तक एक ही शर्ट पहने रहने पर इंदिरा गांधी ने टोका!

नई ये 1980 के दशक की बात है जब () सरकार में मंत्री रहे () लगातार तीन दिन तक एक ही शर्ट पहनते रहे और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस पर उन्हें टोक दिया। ऐसे कुछ किस्से याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और मुखर्जी के लंबे समय तक मित्र रहे जयंत घोषाल बताते हैं कि इंदिरा गांधी ने मुखर्जी को न केवल राजनीतिक रूप से तैयार किया बल्कि उन्हें राजधानी में एक नेता होने की जीवनशैली से भी रूबरू कराया। घोषाल ने कहा, "इंदिरा गांधी उन्हें स्नेह करती थीं। एक बार उन्होंने मुखर्जी से पूछ लिया कि उन्होंने तीन दिन से अपनी शर्ट क्यों नहीं बदली है। प्रणब बाबू ने अपनी पत्नी शुभ्रा मुखर्जी से इस बारे में जिक्र किया तो उन्हें भी यह शिकायत सही लगी कि मुखर्जी का पहनावे का तरीका ठीक नहीं है। उनकी पत्नी ने अपनी किताब ‘इंदिरा गांधी इन माय आइज’ में इस घटना के बारे में लिखा है।" घोषाल की मुखर्जी से पहली मुलाकात 1985 में उनके दक्षिण कोलकाता स्थित आवास पर हुई थी, जब वह बांग्ला दैनिक ‘वर्तमान’ में कनिष्ठ संवाददाता थे। युवा घोषाल पश्चिम बंगाल के अनेक जिलों में मुखर्जी की हर यात्रा में उनके साथ होते थे। 'प्रणव मुखर्जी को जीवनशैली जैसे कई क्षेत्रों में इंदिरा गांधी ने तराशा'उन्होंने कहा, "इंदिरा गांधी ने दरअसल प्रणव मुखर्जी को जीवनशैली जैसे कई क्षेत्रों में तराशा। वह पश्चिम बंगाल के एक गांव से थे और बहुत साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे।" घोषाल के अनुसार, "वह कभी जन नेता नहीं रहे, बल्कि ‘दिल्ली-शैली’ के नेता थे। वह चाणक्य की तरह थे–एक संकटमोचक, एक वार्ताकार।" उन्होंने कहा, "वह आनंद बाजार पत्रिका पढ़ा करते थे। वह उनकी पहली पसंद थी। इसका यह मतलब नहीं है कि वह अंग्रेजी अखबार नहीं पढ़ते थे, लेकिन वह अपनी बांग्ला पहचान नहीं छोड़ना चाहते थे।" एक अन्य परिष्ठ पत्रकार गौतम लाहिड़ी याद करते हुए कहते हैं कि मुखर्जी के पढ़ने के स्वभाव की वजह से ही उनकी याददाश्त प्रखर थी। ‘गूगल सर्च’ की तरह थे प्रणव मुखर्जी, उनके पास हमेशा जवाब तैयार रहते थे: लाहिड़ी मुखर्जी से पहली बार 1982 में मुलाकात करने वाले लाहिड़ी बताते हैं कि तत्कालीन वित्त मंत्री के नाते मुखर्जी ने उनकी एक खबर के लिए उन्हें फोन किया और बताया कि उस खबर में उन्हें क्या समस्या लगी। वह दोनों के बीच लंबे समय तक चली दोस्ती की शुरुआत थी। लाहिड़ी बताते हैं, "मैं पत्रकार के नाते बंगाल में उनके साथ यात्रा किया करता था और काम के बाद हम बंगाल की राजनीति और इतिहास के बारे में बात करते थे। प्रणव मुखर्जी जीवित ‘गूगल सर्च’ की तरह थे और हमेशा उनके पास जवाब तैयार रहता था।" 'स्वभाव से शिक्षक थे प्रणव मुखर्जी' मुखर्जी के पांच दशक के राजनीतिक करियर पर किताब लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि स्वभाव से प्रणव मुखर्जी शिक्षक थे। लाहिड़ी ने मुखर्जी से आखिरी बार बातचीत इस साल की शुरुआत में की थी, जब पूर्व राष्ट्रपति बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों के पैतृक घरों की यात्रा करने के लिए बांग्लादेश जाने की योजना बना रहे थे।


from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi https://ift.tt/3lCt67z
Previous Post Next Post