ग्लोबल टाइम्स के संपादक की धमकी, Pangong झील विवाद का सिर्फ एक ही अंत, भारत की फिर से हार

पेइचिंग जून के महीने में पूर्वी लद्दाख के बाद 29-30 अगस्‍त की रात एक बार फिर चीन के सैनिकों ने भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश की। इस बार पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर घुसपैठ की कोशिश कर रहे चीनी सैनिकों को भारतीय सेना ने मार भगाया। इस बात से तिलमिलाए चीन ने भारत से ही मांग कर डाली कि वह सीमा पर से अपनी सेना कम करे। उधर, चीन के प्रॉपगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि भारत चीन की टक्कर में नहीं है और अखबार के संपादक हू शिजिन ने ट्वीट कर सीधे दावा किया है कि पैंगॉन्ग विवाद का अंत भारत की हार में होगा। 'तो होगी भारत की हार' हू ने ट्वीट किया है- 'भारतीय सेना ने सीमा पर फिर से स्टंट किया है। उन्हें हमेशा लगता है कि चीन पूरे हालात के बारे में सोचते हुए उकसावे पर समझौता करेगा। हालात को अब और गलत न समझा जाए। अगर पैंगॉन्ग झील में कोई विवाद है तो उसका अंत सिर्फ भारतीय सेना की नई हार में होगा।' इसके बाद उन्होंने आगे ट्वीट किया- 'पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर चीन का वास्तविक नियंत्रण है। 1962 में चीन की सेना ने भारत की सेना को यहां हराया था। इस बार भारतीय सेना यथास्थिति को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है। मुझे उम्मीद है कि भारत वही गलती नहीं दोहराएगा।' भारत पर आक्रामकता का आरोप अखबार के संपादकीय में भी आरोप लगाया गया है कि भारत की सेना ने पैंगॉन्ग झील और रेकिन पास पर वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया। इसमें यह भी कहा गया कि जून में गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद भारत ने कुछ ज्यादा ही प्रतिक्रिया करते हुए चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए और अमेरिका के साथ संबंध मजबूत करने लगा। अमेरिका ने भी भारत का साथ दिया जिससे भारत को और ज्यादा बढ़ावा मिला। अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत क्षेत्रीय स्थिरता की जगह आक्रामकता को अपना रहा है। '1962 से ज्यादा होगा नुकसान' ग्लोबल टाइम्स ने आरोप लगाया है कि देश में हाथ से बाहर जाती कोरोना वायरस महामारी की स्थिति और आर्थिक संकट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सीमा पर तनाव को हवा दी जा रही है। साथ ही अखबार ने धमकी दी है कि भारत का सामना ताकतवर चीन से है। संपादकीय में कहा गया है, 'PLA के पास देश के हर इंच की रक्षा करने के लिए पर्याप्त बल है। चीन भारत का शांति बनाकर साथ रहने के लिए स्वागत करता है। अगर भारत प्रतियोगिता में उतरना चाहता है तो चीन के पास उससे ज्यादा साधन और क्षमता है। अगर भारत को सैन्य टक्कर लेनी है तो PLA भारतीय सेना को 1962 से ज्यादा नुकसान कराएगी ही।' अमेरिका-भारत संबंधों से नाराज है चीन चीन को भारत के पश्चिम के साथ गहराते संबंध किस कदर नागवार गुजर रहे हैं, यह भी इस संपादकीय से साफ होता है। इसमें कहा गया है कि भारत इस भ्रम में न रहे कि उसके पास वॉशिंगटन का समर्थन है या Quad -जिसमें भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं- को लेकर हिम्मत बढ़ाए। चीन और भारत का विवाद सिर्फ यही दोनों देश सुलझा सकते हैं। अखबार ने आरोप लगाया है कि अमेरिका भारत और चीन को विवाद में उलझाकर चीन के खिलाफ भारत को इस्तेमाल करना चाहता है। 'नरम न रहे चीन, भारत से ज्यादा ताकतवर' अखबार ने कहा है कि चीन को भारत-चीन सीमा पर सैन्य संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए। किसी भी तरह के विवाद को शांति से सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए लेकिन जब भारत चीन को चुनौती देगा तो चीन को नरम नहीं रहना चाहिए। उसे जहां जरूरी हो, सैन्य कार्रवाई करनी चाहिए और जीत सुनिश्चित करनी चाहिए। अखबार ने दावा किया- 'चीन भारत से कई गुना ताकतवर है और भारत चीन के सामने टक्कर में नहीं है। हमें भारत के ऐसे किसी भी भ्रम को तोड़ देना चाहिए कि वह अमेरिका जैसी ताकतों के साथ मिलकर चीन से निपट सकता है। चीन और भारत सीमा के मुद्दे पर भारत अवसरवादी है।' पैंगॉन्ग झड़प पर चीन का बयान चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए के पश्चिमी कमान के हवाले से कहा कि भारतीय सेना ने दोनों देशों के बीच जारी बातचीत में बनी सहमति का उल्लंघन किया है। सोमवार को भारतीय सेना ने जानबूझकर वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया और जानबूझकर उकसावे की कार्रवाई की। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता झाओ लिजिन ने कहा कि चीन के सैनिक हमेशा से कड़ाई से वास्‍तविक नियंत्रण रेखा का पालन करते हैं। वे कभी एलएसी को पार नहीं करते हैं। दोनों ही तरफ की सेनाएं वहां की स्थिति को लेकर बातचीत कर रही हैं।


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