अभी गणेश उत्सव चल रहा है। 1 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर इसका समापन होगा। गणेश पूजा में और किसी भी शुभ काम की शुरुआत में स्वस्तिक बनाने की परंपरा है। ये सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। स्वस्तिक का वास्तु में भी महत्व बताया गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए स्वस्तिक से जुड़ी कुछ खास बातें...
1. स्वस्तिक कभी भी आड़ा-टेढ़ा नहीं बनाना चाहिए। ये चिह्न एकदम सीधा और सुंदर बनाना चाहिए।
2. घर में कभी भी उल्टा स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए। उल्टा स्वस्तिक किसी खास मनोकामना के लिए मंदिर में बनाते हैं। घर में सीधा स्वस्तिक ही बनाना चाहिए।
3. जहां स्वस्तिक बनाना है, वह स्थान एकदम साफ और पवित्र होना चाहिए, वहां गंदगी नहीं होनी चाहिए।
4. पूजा करते समय हल्दी से भी स्वस्तिक बना सकते हैं। हल्दी का स्वस्तिक बनाने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। बाकी इच्छाओं के लिए कुमकुम से स्वस्तिक बनाना चाहिए।
5. स्वस्तिक धनात्मक यानी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। वास्तु की मान्यता है कि दरवाजे पर स्वस्तिक बनाने से घर में नकारात्मकता प्रवेश नहीं कर पाती है और दैवीय शक्तियां आकर्षित होती हैं।
6. हिन्दू धर्म के साथ ही जैन धर्म में भी स्वस्तिक को बहुत ही शुभ माना जाता है। जैन तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ का शुभ चिह्न स्वस्तिक है। इसे सातिया भी कहते हैं।
7. जैन धर्म से संबंधित प्राचीन गुफाओं और मंदिरों में भी स्वस्तिक चिह्न देखा जा सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ERcrMw