नई दिल्लीसुप्रीम कोर्ट आज 2 महत्वपूर्ण फैसलों को सुनाएगा। इसमें एक है जाने-माने वकील और शीर्ष अदालत की अवमानना के दोषी ठहराए गए के लिए सजा पर फैसला और दूसरा मामला है भगोड़े कारोबारी की एक पुनर्विचार याचिका पर फैसला। माल्या ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की समीक्षा के लिए याचिका डाली थी, जिस पर कोर्ट का फैसला आना है। कोर्ट ने 2017 में माल्या को अदालत की अवमानना का दोषी माना था क्योंकि उसने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों को 4 करोड़ डॉलर (करीब 292.5 करोड़ रुपये) ट्रांसफर किए थे। हालांकि, कोर्ट के जिस फैसले पर सबसे ज्यादा निगाहें रहेंगी, वह है प्रशांत भूषण को सुनाई जाने वाली सजा का। सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण के ट्वीट मामले में सजा पर बहस के बाद जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अटॉर्नी जनरल ने अपने बयान में कहा था कि प्रशांत भूषण को मामले में सजा न दी जाए। भविष्य के लिए चेतावनी देकर छोड़ा जाए। वहीं प्रशांत भूषण के वकील ने कहा था कि फैसला वापस लिया जाय और प्रशांत को सजा देकर उन्हें शहीद न किया जाय। अदालत ने सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 14 अगस्त को प्रशांत को अदालत ने कंटेप्ट में दोषी करार दिया था। न्यायपालिका के खिलाफ अपने दो ट्वीट को लेकर कोर्ट की अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण को शीर्ष अदालत 31 अगस्त को सजा सुनाएगी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ भूषण के खिलाफ अपना फैसला सुनाएगी। अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत सजा के तौर पर भूषण को छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों सजा हो सकती हैं। भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने माफी मांगने का सुझाव दिया था, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था। उसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने 25 अगस्त को शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था शीर्ष अदालत की ओर से 'स्टेट्समैन जैसा संदेश' दिया जाना चाहिए और भूषण को शहीद न बनाएं। तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस मिश्रा ने सजा के मुद्दे पर उस दिन अपना फैसला सुरक्षित रखा था। जस्टिस मिश्रा दो सितंबर को रिटायर हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। भूषण का पक्ष रख रहे धवन ने भूषण के पूरक बयान का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वह अपने 14 अगस्त के फैसले को वापस ले ले और कोई सजा न दे। उन्होंने अनुरोध किया कि न सिर्फ इस मामले को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए। अटॉर्नी जनरल के. के वेणुगोपाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह भूषण को इस संदेश के साथ माफ कर दे कि उन्हें भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं दोहराना चाहिए। बेंच में जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं। बेंच ने ट्वीटों को लेकर माफी न मांगने के रुख पर पुनर्विचार के लिए भूषण को 30 मिनट का समय भी दिया था
from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi https://ift.tt/3gIQug6