चीन पर चोट, नई शिक्षा नीति में 'चाइनीज' आउट

बेंगलुरु देश में केंद्र सरकार द्वारा दो दिनों पहले अप्रूव की गई नैशनल एजुकेशन पॉलिसी () में 'चीनी' को विदेशी भाषा की लिस्ट से हटा लिया गया है। अब नई शिक्षा नीति के तहत 'दुनिया के कल्चर को सीखने और वैश्विक ज्ञान में बढ़ोत्तरी करने की स्टूडेंट्स की अपनी इच्छा के अनुसार' जिन भाषाओं का जिक्र है, उनमें- कोरियन, जापानीज़, थाई, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, पुर्तगाली, रशियन शामिल हैं। चीनी (मैंडारिन या कैंटोनीज़) भाषा 2019 में रिलीज हुए ड्राफ्ट में मेंशन की गई थी। इसमें जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश, चीनी, जापानी का जिक्र वैकल्पिक विदेशी भाषा के तौर पर किया गया था। यह तीन भाषा वाले फॉर्म्युला में शामिल नहीं थी। अब बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई अप्रूव्ड पॉलिसी से चाइनीज को निकाल दिया गया है। फाइनल NEP के फॉर्म्युलेशन से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें इस बदलाव के बारे किसी तरह की जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस बदलाव का कारण तो स्पष्ट ही है। बता दें कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर हुए सैन्य झड़प के बाद से भारत ने 100 से अधिक चाइनीज ऐप को बैन कर दिया। विदेशी भाषा के टीचर्स का कहना है कि चाइनीज की पॉप्युलैरिटी 2017 से ही बेंगलुरु में बढ़ती जा रही थी। यह जापानीज सहित कई विदेशी भाषाओं को भी पीछे छोड़ती नजर आ रही थी। हालांकि किसी भी स्टूडेंट ने चाइनीज भाषा के लिए मार्च 2020 प्रोग्राम के लिए साइनअप नहीं किया है। (देश-दुनिया और आपके शहर की हर खबर अब Telegram पर भी। हमसे जुड़ने के लिए और पाते रहें हर जरूरी अपडेट)


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