शहीद कर्नल की पत्नी...'रोज साथ पीते हैं चाय'

बुलंदशहर 3 मई की वो मनहूस तारीख पल्लवी शर्मा कभी नहीं भुला पाएंगी। पल्लवी उन्हीं की पत्नी हैं जो पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में एनकाउंटर के दौरान शहीद हो गए थे। मूलरूप से यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले कर्नल आशुतोष अपने पीछे अपनी पत्नी पल्लवी और 12 साल की बेटी तमन्ना को छोड़ गए हैं। पत्नी पल्लवी ने हाल ही में एक भावुक वीडियो जारी कर बताया कि कैसे कर्नल आशुतोष के बिना उनकी और उनकी बेटी की जिंदगी चल रही है। वीडियो में पल्लवी ने अपने आंसू छिपाते हुए कहा, 'ये बिंदी, लाल चूड़ियां, सिंदूर, करवा चौथ का व्रत, ये सब पहचान है कि आशु हमेशा मेरे बहुत करीब रहेंगे। जयपुर में जब हम आशु को (शहादत के बाद) लेने गए थे तो सोचा था उनसे बहुत सारी शिकायतें करूंगी। मगर जब उनका चेहरा देखा तो कोई शिकायत नहीं कर पाई। बस उनसे इतना कहा कि मैं तुम्हें सारे बंधनों से आजाद कर रही हूं और तुम्हारे सारे सपने पूरे होंगे।' पल्लवी ने बताया, 'आशु हमेशा कहते थे कि मैं चाहता हूं कि तुम कार ड्राइव करो और मैं पास वाली सीट पर बैठूं। उनका ये सपना पूरा करने के लिए मुक्तिधाम से उनकी राख का एक हिस्सा लेकर कलश को ड्राइविंग सीट के बगल में रखा...सीटबेल्ट बांधी और उन्हें घर लेकर आई।' अपने आंसुओं से जूझते हुए पल्लवी आगे कहती हैं कि आशु अक्सर कहते थे कि मैं कुछ दिन घर पर रहना चाहता हूं, तुम्हारे साथ चाय पीना चाहता हूं। मैंने उनका ये सपना भी पूरा किया, आशु की मनपसंद चाय खूब सारा अदरक डालकर बनाई, हम झूले पर बैठे और खूब सारी बातें कीं। 'कॉलेज में थे तो कहते थे कि बेटी होगी और उसका नाम तमन्ना रखूंगा'वीडियो में पल्लवी के साथ उनकी बेटी तमन्ना भी दिखती हैं। पल्लवी ने कहा, 'ये आशु की ख्वाहिश है...तमन्ना। आशु जब कॉलेज में थे तो कहते थे कि मेरी बेटी होगी और उसका नाम तमन्ना रखूंगा। मैं शुक्रगुजार हूं कि भगवान ने मुझे इस काबिल समझा कि मैं आशु की इस ख्वाहिश को पूरा कर पाऊं।' 3 मई को हंदवाड़ा में एनकाउंटर के दौरान शहीद हुए थे कर्नल आशुतोष 3 मई को में आतंकियों को ढेर करने के साथ शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा 21 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स के कमांडिंग ऑफिसर थे। कर्नल शर्मा दो-दो बार वीरता मेडल्‍स से सम्‍मानित हो चुके थे। उन्‍हें काउंटर-टेररिज्‍म ऑपरेशंस में महारत हासिल थी। गार्ड्स रेजिमेंट से आने वाले कर्नल शर्मा लंबे समय से कश्‍मीर घाटी में तैनात थे। बतौर कमांडिंग ऑफिसर, अपनी बहादुरी के लिए कर्नल शर्मा को सेना मेडल मिला था।


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