भारत से तनाव, त‍िब्‍बत में अंधेरे में युद्धाभ्यास कर रहा चीन

पेइचिंग लद्दाख में भारत और चीन की सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं पिछले कई दिनों से तैनात () हैं। इस तनावपूर्ण स्थिति पर पूरी दुनिया की नजर है। एक ओर जहां अमेरिका चीन से ताकत की जगह कूटनीति के इस्तेमाल की अपील कर चुका है, वहीं दूसरी ओर चीन आधी रात के अंधेरे में युद्धाभ्यास कर रहा है। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की तिब्बत मिलिट्री कमांड ने सोमवार देर रात 4,700 मीटर की ऊंचाई पर सेना भेजी और कठिन हालात में अपनी क्षमता का परीक्षण किया। आगे की तैयारी कर रहा है चीन चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस युद्धाभ्यास की जानकारी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन की सीमा ऊंचाई पर है और दोनों देशों की सेनाओं के बीच में कुछ 'घटनाएं' हुई हैं जिसके बाद दोनों तरफ तैनाती की गई है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि चीन तनाव के इस माहौल में एक कदम आगे की तैयारी करके चल रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका भी इस बात को लेकर चिंता जता चुका है कि भारत से लगी सीमा पर चीन का आक्रामक रवैया 'खतरनाक' है। अंधेरे में किया शक्ति परीक्षण चीन सेंट्रल टेलिविजन (CCTV) के मुताबिक सोमवार रात 1 बजे PLA की स्काउट यूनिट ने तांगुला पहाड़ी की ओर बढ़ना शुरू किया। मार्च के दौरान गाड़ियों की लाइटें बंद रहीं और नाइट विजन डिवाइस की मदद ली गई ताकि ड्रोन से बचा जा सके। रास्ते में आने वाली रुकावटों को पार करके ड्रोन की मदद से विस्फोट किए गए। टार्गेट के करीब पहुंचकर कॉम्बैट टेस्ट भी किया गया जिसके लिए स्नाइपर यूनिट को आगे भेजा गया। साथ ही फायर स्ट्राइक टीम ने हल्के हथियारों वाली गाड़ियों को ऐंटी टैंक रॉकेट से उड़ाया। कितनी तैयार है सेना और उपकरण इसके बाद कमांडरों ने गाड़ी के ऊपर लगे इन्फ्रारेड सैन्य परीक्षण सिस्टम की मदद से सेना की टुकड़ी को आगे की लड़ाई के लिए टार्गेट तक पहुंचाया। इस युद्धाभ्यास के दौरान करीब 2000 मोर्टार शेल, राइफल ग्रेनेड और रॉकेट्स का इस्तेमाल किया गया। इससे नए हथियारों और उपकरणों के साथ जंग लड़ने के लिए सेना कितनी तैयारी है, यह पता लगा। साथ ही, खुद कठिन परिस्थिति में कैसे लड़ना है इसका परीक्षण भी हुआ। 'रात में हमले से हो सकती है दिक्कत' ग्लोबल टाइम्स को साउथवेस्ट चीन के तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन के ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात रह चुके रिटायर्ड PLA अधिकारी ने बताया कि इस इलाके में रातें बहुत ठंडी होती है और ऊंचाई पर ऑक्सिजन कम हो जाती है जिससे सेना को परेशानी हो सकती है और हार्डवेयर को भी खराबी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि रात के वक्त में हमले से सिर्फ एक जंग ही जीती जा सकती है और इसमें अचानक हमला करने से मदद मिल सकती है।


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